Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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की बुद्धिः
नमस्कार
| णिब्बिसताणि आणत्ताणि, पिया मोगाह णिमनितो, णेच्छनि, राया सड्डो कतो, वरिसारचे पुण्णे वच्चंतस्स अकिरियाणिमित परिणामिव्याख्यायो ५
| धिज्जातिएहिं उबक्सारयाए परिभट्ठियारूवकतगुचिणी यतका अणुव्रजति, तीए गहितो, सो पश्यणस्स उडाहो होहित्ति भणति॥५५९॥ जदि मए तओ जोणीए गीतु, अह ण होति ममं तो पोई भिदित्ता णीउ, एवं भणितो पोट्ट मिश्र, मया, वण्णो य जातो । कुमारोह
खुड्गकुमारो जहा जोगसंगहेहि । देवी, पुष्फम पगरे पुष्फसेणो राया, अगमहिसी य पुफरती देवी, तोसे दो चेडरूवाणिपुष्फचूलो पुष्फचुला य, ताण अणुरत्ताणि मागे मुजति, देवी पन्नइया. देवलोगे उबवण्णा, देवो जातो, सो देवो एवं चिंतेतिजदि एताणि एवं मरत तो नरगनिरिएमु उववज्जिहति, सुविणए सो देवो णरए देवलोए य उवदंति, सा मीता जाता, पुच्छति पासडिते, ण जाणीन, अणियपुत्ता नत्थ आयरिया, ते महाविता, नहेब सुन कड्डीत,सा मणति-किं तुन्भेहिवि सिविणओ दिह्रो । सो मणति- अम्हें एरिमं सुत्ति दिनु, पचड़या। देवस्स पारिणामिता ॥ पुरिमताल नगर, उदितोदितो राया, सिरिकता देवी, दोण्णिवि सावगाणि, परिवाइगा जिता, दासीहि य मुहमक्कडिताहि वेलबिना, णिच्छूढा, पदोसमावण्णा, वाराणसीते | धम्मरुई राया, तत्थ गया, फलयपट्टियाए रवं मिरिकंवाए लिहितूण दाएति धम्माइस्स रण्यो, मो अज्झाचवण्णो दूतं विसज्जेति, | पडिहतो निच्छुढो, नाहे मन्चत्रलंण आगना, णगरं गहेति, मो साओ चिंतेति उदिओदिओ राया- किं एवडेणं जणक्वएणी, * उववामं ठिओ, वेसमणेणं देवणं मणगर माधिो , उदिनोदयम्म पारिणामिया ॥ साधूणंदिसणेत्ति, मेणियपुत्तो दिसेणो, सीमो ॥२५९॥
य तस्स ओघाणुप्पेधी. नम्स चिना-मग जदि (गयगिह। एज्जा तो देवीओ अण्णाणि य अतिसए पेच्छितूण जदि थिरो होज्जत्ति, भट्टारओ आगतो, मणीओ सधनपुरोणीनि, अण्णे य कुमाग संतेपुरा, दिसेणस्स अंतपुरं सेतं वस्वसणं, पउमिणिमज्झे हंसीओ
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SAREES
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