Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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सामायिक व्याख्याय ॥६०५॥
RESEAR
दव्यमयं मयमोहणीय कम्म बड़े न नाच उद्दिज्जति, अष्ण मणति- जो जस्म दल्बस्स वीमेति सचिनादिस्स, खेत्तमयं जंमि खेते, * जो वा जस्स खम्स चीभनि, जैमि वा खने मयं वणिज्जते, एवं कालेवि माणितब, जच्चिर वा कालं बीमेति, मात्रमयं- मय-12
भदन्तमोहणिज्जेणं कम्मेण उद्दिषाण सनविह, जहा- इहलोमादी, इहलोगभय जे पुरिसो पुरिसस्स बीहेति १ परलोगमय- सीहबग्घदे
* व्याख्या वादीगंजं बीभति २ आदाणमयं जो आदयस्स चोरादीणं ची मेति ३ एवं चेत्र अगुत्तिमयं, नगरपाकारो आदाणमएण कीरात ४ अकस्मादमयं जथा विज्जुमाइओ तथा मरणमिनि महन्मयं 'नराणां.' वृत्त, दोनि एकं ५ वेदणमयं सीतादीण जीभेति असिलोगभयं-जदि एवं 13 काहामि ता मे अयसो होहितित्ति बीभेति ७एतस्स सत्तविहस्स अंतं गतो मदतो। जहवा मवान्तो, सो य भवो चउन्विहो-नामादि, | दन्दमवो एगभत्रियादी, भावमयो- चउन्चिहो संसागे, जो चउगइस्स भवस्स अंतं गतो सो मत्रंतो, मवानामते वर्चते, कथमसावते वर्तते ?, अन इब अंतो । सो अंनो छन्विहो, नामवणाओ गताओ, दब्बस्स अंतो षडस्स पडस्म एवमादि, खितंतो जथातिरियलोगंतो उड्डु, सेन वा विण8 चिराणगं तथावि सो अंतो, कालंतो वामतो जाब मुहत्तस्म अन्तो एवमादि, भारतो जो जस्स उदतियादिम्स भावस्स सबंतिम कंडए वति । अहवा मंतो सक्कएण भ्रान्तो, सो छबिहो, दश्चमतो जो जानो दवाओ म्रातः, न याणइ किं तं अण्णंति ?, अहवा जो जातो दवाओ भ्रष्टःखेत्ताओ गामाओ नगराओ एवमादि दिसामोहेण वा, कालाओ हेमंताओ साहरिओ वा अण्णमि काले, मूढो वा कालं न याणाति, मावभ्रान्तो दुविहो- ठाणमंवो गुणभंतो य, ठाणमतो I इसरतलवरादिट्ठाणाओ, गुण मनो दचिहो- अप्पमस्थो गुणमंतो जाणादिभेतो, पसत्यो अण्णाणादिभतो ॥ सत्तमयविष्पमुक्केण PI
४६.५॥ | अधिगारो, भयंतेणवि भवतेणचि, अन्यमन्थगुणमंतेणं भदंनेण य । एरिसर्य को मात करोम मैने सामाइया, गोतमसामी भट्टारगं
SIC

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