Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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सामायिक व्याख्या
सहिता
पदादि
KARANIES
॥५९२॥
प्रागुपदिष्टं च-एन्थ य मुनाणुगमो सुत्तालानगनिष्फण्णो निक्लेवो सुसफासियनिज्जुत्ती समकं गमिष्यतीनि, तपात्र सामायिकसूत्रमुच्चारयितव्य अक्वलितयं अमिलितं एते आलावमा जथा पेढियाए ब्यावस्सगे तहा विमासितव्या जाव सामा| इयपयं णोसामाइयपर्य वा, तं च इम-'करेमि भंते ! सामाइय मिच्चादि, ततो तंमि उच्चारिते केसिधि भगवंताण केई अत्या|धिगारा अधिगता भवंति, केई पुण अणधिगता, ततो तेसिं अधिगमत्थं अणुयोगो, एवं प 'जिणपवयणउप्पत्ती एसावि गाथा | एत्य गता मविस्सतित्ति, सो य अणुयोगो एवं-संहिता प पयं घेव, पयत्यो पदिग्गहो। चालना य पसिद्धीय, पब्विहं विद्धि लक्षणं ॥१॥ तत्थ पुर्व संहिता, संहितेति कोऽर्थः १, पूर्वोत्तरपदयोः वर्णयोः परः सनिकर्षः संहिता, अम्खलियपयो|च्चारणमित्यर्थः, तत्थ संहिता-'करेमि भंते । सामाइयं, सवं सारज्जं जोग पञ्चक्खामि जावज्जीवाए तिविहं तिविदेणं मणसा वयसा कायसा न करेमि न कारवमि करेंतमवि अण्णं ण समणुजाणामि, तस्स मंते ! पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि' ति, एसा संदिया।
इवाणिं पदच्छेदो, करमित्ति पदं मदंत इति पदं सामाइयनि पदं सच्चीन पदं सावजंति पदं जोगमिति पदं पच्चक्खामिति पद जावज्जीवाणति पदं तिविहंनि पदं निविहेणति पद मणसति पदं वयसत्ति पद कायसति पदं ण करेमित्ति पदं न कार-12 | मिति पदं करेंतमण्णं ण समणुजाणामित्ति पदं तस्सील पदं भदंत इति पदं पडिकमामिति पदं निंदामिति पद गरिहामित्ति पद अप्पाणंति पदं वोसिरामिति पदं ॥ इदाणि पयस्थी, पद्यतेऽनेनार्थ इति पदं, गम्यते परिच्छिज्जते इतियाचद, एत्य य आयरिया पदत्यमेवं वण्णयनि--यथा किर मब्बा अत्यसिद्धी सविसए जहासत्तीए पवित्तिनिश्वित्तीहिं दिडा, अतो एत्यपि मोक्खत्या
॥५९२॥

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