Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 589
________________ नगरं गदितडे, जय गंधण य दिवो बणसे ECHESTER नमस्कार का आरोग्गाभिरतीए एगणगरं दिनडे, खरकमिनेणं सरीरमितानिग्गतेण नदीए वुमंत मातुलिग दिदु, रायाए उवणीतं, नमस्कार प्याल्यापाट्रिसूयस्स हत्थे दिण्णं. पमाणेण य अतिरित्त, वाण य गंधण य अतिरित, तम्स मणुस्सस्स तुट्ठो, मोगा दिण्णा, राया मणति फिले आरो॥५९ अ ण्ण णदाए मग्गह जाव न लद्ध, पचवणे गहाय पुरिमा गया, दिट्ठो वणसंडो, जो गिण्हति फलाणि सो मरति, आगता, रणो ग्यादि कहिये भनि- अयम्स मम आणतन्वं, अस्खपडिया वच्चउ, एवं गता आणेति, एगो पविट्ठो बाहिं उच्छुमति, अण्णे आणेति, लसा मरति, एवं कालो वमति, सावगम्स परिवाडी जाया, गओ तत्य, चिंतेति-मा विराहितसामण्णो कोई होज्जति णिमी | हिय णमोक्कारं करेंनो टुक्कति, वाणमंतरस्म चिंता, संयुद्धो, वंदति, भणति- अई तब तत्थेव साहरामि, गतो, रण्णो कहितो | सम्भाचो, तरस ऊसीमए दिण दिणे, एवं तेण जीतं अभिरनी मोगा य लद्धा, जीविता णाम किं अण्णं आरोग्गी, रामावि तुट्ठो। परलोए णमोक्कारस्म केण फलं पत्तं ? - ।..वसंत राया, गणिया साविया, चंडपिंगलेण चारेण सम वसति, एवं कालो बच्चति, अण्णदा तेण रणो पर हत, हारो णाणता, मीसहि संगापिज्जति, अण्णदा उजाणीयाए गमण, सचाओ गणियाओ विभूसियाओ वच्नति, तीए सच्याओ अतिस तामिति हाग आविद्धा, जीमे देवीए मो हारो तीसे दासीए णाओ, रणो कहिओ य, केण समं वसती, कहेनि, चंडपिंगमालो गहितो, मूले मिण्णो, तीए चिनियं- मम दोसण मारिओति सा से णमोक्कार देति, मणति य-णिदाणं करेहि जथा एत-13 ॥५९०॥ स्सब रण्वात्तो पञ्चायामि, कत, अग्गमहिसीत उदरे पच्चायातो, दारओ जातो, सा से सादिया कीलावणघाती जाता। अणा चिनति-कालो समो गम्भस्म य मरणस्स य, होज्ज कदाइचि रमावेति भणति-मा रोष चंडपिंगला चंडपिंगलत्ति, संयुद्धो, Ses

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