Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रकाशकीय
सर्वतोभद्र स्वर्गीय युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी म. के मानस में एक विचार समुत्पन्न हुआ था कि अर्थ-गंभीर आगमों का शुद्ध मूलपाठ हिन्दी भाषा में अनुदित एवं सम्बन्धित विवेचन सहित संस्करण प्रकाशित हो, जिससे जन साधारण एवं जैन सिद्धान्तों के जिज्ञासु जैन वाड्मय का अध्ययन कर सकें ।
विचार साकार हुआ। श्री आगम प्रकाशन समिति के माध्यम से आगम ग्रन्थों का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया। यथाक्रम जैसे-जैसे ग्रन्थों का प्रकाशन होता गया तो पाठकों की संख्या में अनुमान से भी अधिक वृद्धि हुई । अतः द्वितीय संस्करण के ग्रन्थों के अनुपलब्ध होते जाने पर भी आगमबत्तीसी के समस्त ग्रंथों की मांग बढ़ती गई। इसकी पूर्ति के लिये अध्यात्मयोगिनी मालवज्योति साध्वी श्री उमरावकुंवरजी म. " अर्चना' के निर्देशन में तृतीय संस्करण प्रकाशित करने का निर्णय किया ।
निर्णय के अनुसार अप्राप्त होते जा रहे ग्रन्थों को प्रकाशित करने का कार्य चालू है । इसी क्रम में प्रज्ञापनासूत्र के प्रथम खण्ड का प्रकाशन किया जा रहा है। शेष दो खण्ड एवं अन्य ग्रन्थ भी मुद्रणाधीन हैं।
प्रज्ञापना सूत्र का अनुवाद एवं संपादन जैनभूषण पं. र. मुनि श्री ज्ञानमुनिजी म. ने किया है। आपने ग्रन्थ के अर्थगंभीर अंशों को सरल भाषा में स्पष्ट करके श्रुतसेवा का अपूर्व लाभ लिया है । एतदर्थ समिति उनका अभिनंदन करती है।
अंत में समिति की ओर से हम अपने सभी सहयोगियों का हार्दिक आभार मानते हैं ।
सागरमल बैताला
अध्यक्ष
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रतनचंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष
सरदारमल चौरड़िया महामन्त्री
श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर ( राजस्थान )
ज्ञानचन्द विनायकिया
मंत्री