Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चोर को बन्दीगृह में होने वाले दुःख]
[९७ उरक्खोडी-दिण्ण-गाढपेल्लण-अढिगसंभग्गसपंसुलिगा गलकालकलोहदंड-उर-उदर-वत्थि-परिपीलिया मत्थत-हिययसंचुण्णियंगमंगा प्राणत्तीकिकरहिं ।
केई अविराहिय-वेरिएहिं जमपुरिस-सण्णिहेहिं पहया ते तत्थ मंदपुण्णा चडवेला-वज्झपट्टपाराइ-छिव-कस-लत्तवरत्त-णेत्तप्पहारसयतालि-यंगमंगा किवणा लंबंतचम्मवणवेयणविमुहियमणा घणकोट्टिम-णियलजुयलसंकोडियमोडिया य कोरंति णिरुच्चारा असंचरणा, एया अण्णा य एवमाईश्रो वेयणाश्रो पावा पार्वति।
७२–प्रश्न किया गया है कि चोरों को जिन विविध बन्धनों से बांधा जाता है, वे बन्धन कौन-से हैं?
__ उत्तर है-हडि-खोड़ा या काष्ठमय बेड़ी, जिसमें चोर का एक पाँव फंसा दिया जाता है, लोहमय बेड़ी, बालों से बनी हुई रस्सी, जिसके किनारे पर रस्सी का फंदा बांधा जाता है, ऐसा एक विशेष प्रकार का काष्ठ, चर्मनिर्मित मोटे रस्से, लोहे की सांकल, हथकड़ी, चमड़े का पट्टा, पैर बांधने की रस्सी तथा निष्कोडन-एक विशेष प्रकार का बन्धन, इन सब तथा इसी प्रकार के अन्य-अन्य दुःखों को समुत्पन्न करने वाले कारागार-कर्मचारियों के साधनों द्वारा (पापी चोरों को बांध कर पीड़ा पहुँचाई जाती है।) इतना ही नहीं, उन पापी चोर कैदियों के शरीर को सिकोड़ कर और मोड़ कर जकड़ दिया जाता है। कैद की कोठरी (काल-कोठड़ी) में डाल कर किवाड़ बंद कर देना, लोहे के पीजरे में डाल देना, भूमिगह-भोयरे---तलघर में बंद कर देना, कूप में उतारना, बंदीघर के सींखचों से बांध देना, अंगों में कीलें ठोक देना, (बैलों के कंधों पर रक्खा जाने वाला) जवा उनके कंधे पर रख देना अर्थात् बैलों के स्थान पर उन्हें गाड़ी में जोत देना, गाड़ी के पहिये के साथ बांध देना, बाहों जाँघों और सिर को कस कर बांध देना, खंभे से चिपटा देना, पैरों को ऊपर और मस्तक को नीचे की ओर करके बांधना, इत्यादि वे बन्धन हैं जिन से बांधकर अधर्मी जेल अधिकारियों द्वारा चोर बाँधे जाते हैं पीड़ित किये जाते हैं।
उन अदत्तादान करने वालों की गर्दन नीची करके, छाती और सिर कस कर बांध दिया जाता है तब वे निश्वास छोड़ते हैं अथवा कस कर बांधे जाने के कारण उनका श्वास रुक जाता है अथवा उनकी आँखें ऊपर को आ जाती हैं। उनकी छाती धक धक करती रहती है। उनके अंग मोड़े जाते हैं, वे वारंवार उल्टे किये जाते हैं। वे अशुभ विचारों में डूबे रहते हैं और ठंडी श्वासें छोड़ते हैं।
___कारागार के अधिकारियों की आज्ञा का पालन करने वाले कर्मचारी चमड़े की रस्सी से उनके मस्तक (कस कर) बांध देते हैं, दोनों जंघात्रों को चीर देते हैं या मोड़ देते हैं । घुटने, कोहनी, कलाई आदि जोड़ों को काष्ठमय यन्त्र से बांधा जाता है। तपाई हुई लोहे की सलाइयाँ एवं सूइयाँ शरीर में चुभोई जाती हैं। वसूले से लकड़ी की भाँति उनका शरीर छीला जाता है। मर्मस्थलों को पीड़ित किया जाता है । लवण आदि क्षार पदार्थ, नीम आदि कटुक पदार्थ और लाल मिर्च आदि तीखे पदार्थ उनके कोमल अंगों पर छिड़के जाते हैं। इस प्रकार पीड़ा पहुँचाने के सैकड़ों कारणों-उपायों द्वारा बहुत-सी यातनाएँ वे प्राप्त करते हैं।
(इतने से ही गनीमत कहाँ ?) छाती पर काष्ठ रखकर जोर से दबाने अथवा मारने से उनकी हड्डियाँ भग्न हो जाती हैं-पसली-पसली ढीली पड़ जाती है। मछली पकड़ने के कांटे के