Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ प्रश्नव्याकरणसूत्र श्र. २, अ ३.
एवं णायमुणिना भगवया पण्णबियं परूवियं पसिद्ध सिद्ध सिद्धवरसासणमिणं प्राघवियं सुदेसि पत्थं ।
॥ तइयं संवरदारं समत्तं ॥ त्तिबेमि ॥
१४० - इस प्रकार ( आचरण करने) से यह तीसरा संवरद्वार समीचीन रूप से पालित और सुरक्षित होता है । इस प्रकार यावत् तीर्थंकर भगवान् द्वारा कथित है, सम्यक् प्रकार से उपदिष्ट है और प्रशस्त है । शेष शब्दों का अर्थ पूर्ववत् समझना चाहिए ।
॥ तृतीय संवरद्वार समाप्त ॥