Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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रोहिणी]
[२८१
शील, नीतिनिपुण और पवित्र विचार की होते हुए भी, पता नहीं रोहिणी ने इन सब राजाओं को छोड़ कर एक नीच व्यक्ति का वरण क्यों किया? रोहिणी ऐसा अज्ञानपूर्ण कृत्य नहीं कर सकती। फिर रोहिणी ने यह अनर्थ क्यों किया ? अपने पिता को इसी उधेड़बुन में पड़े देख कर रोहिणी ने सोचा कि 'मैं लज्जा छोड़कर पिताजी को इनका (अपने पति का) परिचय कैसे दूँ ?' वसुदेवजी ने अपनी प्रिया का मनोभाव जान लिया। इधर जब सारे राजा लोग कुपित होकर अपने दल-बलसहित वसुदेवजी से युद्ध करने के लिये तैयार हो गए, तब वसुदेवजी ने भी सबको ललकारा
___ "क्षत्रियवीरो ! क्या आपकी वीरता इसी में है कि आप स्वयंवर-मर्यादा का भंग कर अनीतिपथ का अनुकरण करें ? स्वयंवर के नियमानुसार जब कन्या ने अपने मनोनीत वर को स्वीकार कर लिया है, तब आप लोग क्यों अड़चन डाल रहे हैं ? राजा लोग न्याय-नीति के रक्षक होते हैं, नाशक नहीं । आप समझदार हैं, इतने में ही सब समझ जाइये।"
___ इस नीतिसंगत बात को सुनकर न्याय-नीतिपरायण सज्जन राजा तो झटपट समझ गए और उन्होंने युद्ध से अपना हाथ खींच लिया। वे सोचने लगे कि इस बात में अवश्य कोई रहस्य है। इस प्रकार की निर्भीक और गंभीर वाणी किसी साधारण व्यक्ति की नहीं हो सकती। लेकिन कुछ दुर्जन और अड़ियल राजा अपने दुराग्रह पर अड़े रहे। जब वसुदेवजी ने देखा कि अब सामनीति से काम नहीं चलेगा, ऐसे दुर्जन तो दण्डनीति-दमननीति से ही समझेंगे, तो उन्होंने कहा, "तुम्हें वीरता का अभिमान है तो पा जायो मैदान में ! अभी सब को मजा चखा दूंगा।"
वसुदेवजी के इन वचनों ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया। सभी दुर्जन राजा उत्तेजित होकर एक साथ वसुदेवजी पर टूट पड़े और शस्त्र-अस्त्रों से प्रहार करने लगे। अकेले रणशूर वसुदेवजी ने उनके समस्त शस्त्रास्त्रों को विफल कर सब राजाओं पर विजय प्राप्त की।
राजा रुधिर भी वसुदेवजी के पराक्रम से तथा बाद में उनके वंश का परिचय पाकर मुग्ध हो गया । हर्षित हो कर उसने वसुदेवजो के साथ रोहिणी का विवाह कर दिया। प्राप्त हुए प्रचुर दहेज एवं रोहिणी को साथ लेकर वसुदेवजी अपने नगर को लौटे। इसी गर्भ से भविष्य में बलदेवजी का जन्म हुआ, जो श्रीकृष्णजी के बड़े भाई थे।
इसी तरह किन्नरी, सुरूपा और विद्युन्मती के लिये भी युद्ध हुा । ये तीनों अप्रसिद्ध हैं। कई लोग विद्युन्मती को एक दासी बतलाते हैं, जो कोणिक राजा से सम्बन्धित थी और उसके लिये युद्ध हुआ था । इसी प्रकार किन्नरी भी चित्रसेन राजा से सम्बन्धित मानी जाती है, जिसके लिए राजा चित्रसेन के साथ युद्ध हुआ था। जो भी हो, संसार में ज्ञात-अज्ञात, प्रसिद्ध-अप्रसिद्ध अगणित महिलाओं के निमित्त से भयंकर युद्ध हुए हैं।