Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 212
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsun Gyanmandir |से दमगपुरिसे सागरदत्तस्स एयमटुं पडिसुणेति त्ता सूमालियाए दारियाए सद्धिं वासरं अणुपविसति सूमालियाए दा० सद्धिं तलिगंसि निवजइ, तते णं से दमगपुरिसे सूमालिया। इमं एयारुवं अंगफासं पडिसंवेदेति, सेसं जहा सागरस्स जाव सयणिज्जाओ अब्भु(प्र० पच्चु )तुति ना वासघराओ निग्गच्छति त्ता खंडभल्लगं खंडधडं च गहाय मारामुक्केविव काए जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए, तते णं सा सूमालिया जाव गए णं से दमगपुरिसेत्तिकटु ओहयमण जाव झियायति ११८। तते णं सा भदा कल्लं पाउ० दासचेडिं सदावेति त्ता एवं वयासी जाव सागरदत्तस्स एयभट्ट निवेदेति, तते णं से सागरदत्ते तहेव संभंते समाणे जेणेव वासहरे तेणेव उवा० ता सूमालियंदारियं अंके निवेसेति त्ता एवं ३०-अहो णं तुमं पुत्ता! पुरापोराणाणं जाव पच्चणुब्भवभाणी विहरसि तं माणं तुम पुत्ता! ओहयमण० झियाहि तुभं पुत्ता! मम महाणसंसि विपुलं असणं० जहा पुट्टिला जाव परिभाएमाणी विहराहि, तते णं सा सूमालिया दारिया एयमद्वं पडिसुणेति त्ता महाणसंसि विपुलं असणं जाव दवावेमाणी विहरइ। तेणं कालेणं० गोवालियाओ अजाओ बहुस्सुयाओ एवं जहेव तेयलिणाए सुव्वयाओ तहेव सभोसड्ढाओ तहेव संघाडओ जाव अणुपविढे तहेव जाव सूमालिया पडिलाभिता एवं वदासी एवं खलु अजाओ! अहं सागरस्स अणिट्ठा जाव अभणामा नेच्छइ णं सागरए मम नाम वा जाव परिभोगं वा, जस्स २ वियणं दिजामि तस्स २ वियणं अणिट्ठा जाव अमणामा भवामि, तुब्भे यणं अजाओ! बहुनायाओ एवं जहा पुट्टिला जाव उवलद्धे जे णं अहं सागरस्स दार० इट्ठा कंता जाव भवेजामि, अज्जाओ! तहेव भणंति तहेव साविया जाया तहेव चिंता तहेव सागरदत्तं सत्थवाह | ॥श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279