Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan

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Page 267
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsurl Gyanmandir सपरिवाराहिं तीहिं परिसाहिं सत्तहिं अणीएहिं सत्तहिं अणियाहिवतीहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि अण्णेहिं बहुएहि य|| कालवडिंसयभवणवासीहिं असुरकुमारेहिं देवीहिं देवेहि य सद्धिं संपरिवुडा महयाहय जाव विहरइ, इमं च णं केवलकप्यं जंबुद्दीव दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणा २ पासइ, एत्थ समणं भगवं महावीरं जंबुदीवे दीवे भारहे वासे रायगिहे नगरे गुणसीलए चेइए अहापडिरुवं उग्गहं उग्गिण्हिता संजमेणं तवसा अयाणं भावमाणं पासति त्ता हतुद्वचित्तमाणंदिया पीतिमणा जाव हयहियया सीहासणाओ अब्भुढेति त्ता पायपीढाओ पच्चोरुहति त्ता पाउयाओ ओमुयति त्ता तित्थगराभिमुही सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छति त्ता वाम जाणुंअंचेति त्ता दाहिणं जाणुंधरणियलंसि निहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसेति त्ता ईसिंपच्चुण्णमइत्ता कडयतुडिथंभियातो भुयातो साहरति त्ता करयल जाव कटु एवं व० -भोऽत्थु णं अहंताण जाव संपत्ताणं, णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स वदामि णं भगवंतं तत्थगयं इह गए पास मे समणे भगवं महावीरे तत्थ गए इह गयंतिकटु वंदति नभंसति त्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहा निसण्णा, तते णं तीसे कालीए देवीए इमेयारूवे जाव समुप्पजित्था सेयं खलु मे समणं भगवं महावीर वंदित्ता जाव पज्जुवासित्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेति त्ता आभिओगिए देवे सदावेति त्ता एवं ३०-एवं खलु देवा०! समणे भगवं महावीरे एवं जहा सूरियामो तहेव आणत्तियं देइ जाव दिव्वं सुरवराभिगमणजोग्गं रेह त्ता जाव पच्चप्पिणह, तेवि तहेव करेत्ता जाव पच्चपिणंति, णवरं जोयणसहस्सविच्छिण्णं जाणं सेसं तहेवणामगोयं साहेइ तहेव नट्टविहिं उवदंसेइ जाव पडिगया, भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं ॥ श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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