Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan

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Page 271
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsurl Gyanmandir एक्कारस अंगाई अहिजइ बहूहिं चउत्थ जाव विहरति, तते णं सा काली अज्जा अन्नया कयाई सरीरबाउसिया जाया यावि होत्था,|| अभिक्खणं २ हत्थे थोवइ पाए धोवइ सीसं थोवइ मुहं थोवइ थणंतराई थोवइ कक्खंतराणि धोवति गुझंतराई धोवइ जत्थ २ विय णं ठाणं वा सेज वा णिसीहियं वा चेतेइ तं पुव्वामेव अब्भुक्खेत्ता ततो पच्छ। आसयति वा सयइ वा तते णं सा पुष्फचूला अजा कालिं अजं एवं व०- नो खलु कप्पति देवा०! समणीणं णिगंथीण सरीरबाउसियाणं होत्तए तुमंचणं देवाणुप्पिया! सरीरबाउसिया जाया अभिक्खणं २ हत्थे धोवसि जाव आसयाहि (यसि) वा सयाहि (यसि) वा तुम देवाणुप्पिए! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पायच्छितं पडिवजाहि, तते णं सा काली अज्जा पुष्पचूलाए अजाए एयमटुं नो आढाति जाव तुसिणीया संचिट्ठति, तते णं ताओ पुप्फचूलाईओ अजाओ कालिं अजं अभिक्खणं २ हीति जिंदति खिंसतिं गरिहंति अवमण्णंति अभिक्खणं २ एयभट्ट निवारेंति, तते णंतीसे कालीए अजाए समणीहिं णिग्गंथीहिं अभिक्खणं २ हीलिजमाणीए जाव वारिजमाणीए इमेयारुवे अब्भत्थिर जावसमुप्पजित्था जया णं अहं आगारवासं मझे वसित्था त्या णं अहं सयंवसा जप्पिभिई च णं अहं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वतिया तप्यभिचणं अहं परवसा जाया, सेयं खल मम कल्लं पाउप्पभायाए त्यणीए जाव जलते पा विहरित्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेति त्ता कल्लं जाव जलते पाडिएवं उक्स्सयं गिण्हति, तत्थ णं अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छंदमती अभिक्खणं २ हत्थे थोवेति जाव आसयइ वा सयइ वा०, तए णं सा काली अज्जा पासत्थ पासत्थविहारी ओसण्णा ओसण्णविहारी/ ॥श्रीजाताधर्मकथाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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