Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir
सहदेवं जरासिंधुसुयं करयल जाव समोसरह, अट्ठमं दूयं कोडिण्णं नयरं, तत्थ्णं तुमं रुप्पि मेसगसूयं करयल तहेव जाव सभोसरह,|| नवमं दूयं विराडनयरं, तत्थ णं तुभ कियगं भाउसयसमग्गं करयल जाव समोसरह, दसमं दूयं अवसेसेसु य गामागरनगरेसु अणेगाई रायसहस्साई जाव समोसरह, तए णं से दूर तहेव निगच्छइ जेणेव गामागर जाव सभोसरह, तए णं ताई अणेगाइं रायसहस्साई तस्स दुयस्स अंतिए एयमटुं सोच्चा निसम्म हट० तं दूयं सकारेंति ना सम्माणेति त्ता पडिविसजिंति, तए णं ते वासुदेवपामुक्खा बहवे रायसहस्सा पत्तेयं २ ण्हाया सन्नद्धहत्थिखंधवरगया हयगयरह० महया भऽऽगररहपहकर० सएहि २ नगरेहितो अभिनिग्गच्छंति त्ता जेणेव पंचाले जणवए तेणेव पहारेत्थ गमणाए। १२३। तए णं से दुवए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं व० -गच्छह णं तुम देवाणु०! कंपिल्लपुरे नयरे बहिया गंगाए महानदीए अदूरसामंते एगंमहं सयंवरमंडवं रेह अणेगखंभसयसन्निविट्ठ लीलट्ठियसालभंजिआगं जाव पच्चप्पिणंति, नए णं से दुवए गया कोडुंबियपुरिसे सदावेइ त्ता एवं व्यासी खिय्यामेव भो देवाणुप्पिया! वासुदेवपामुक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आवासे करेह तेवि कोत्ता पच्चप्पिणंति, तए णं दुवए वासुदेवपामुक्खाणं बहूणं गयसहस्साणं आगमं जाणेत्ता पत्तेयं २ हतिथखंधजावपरिवुडे अग्धं च पजं च गहाय सविड्डिए कंपिल्लपुराओ निग्गच्छइ त्ता जेणेव ते वासुदेवपामुक्खा बहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ त्ता ताई वासुदेवपामुक्खाई अग्धेण य पजेण य सकारेति सम्माणेइ त्ता नेसिं वासुदेवपामुक्खाणं पत्तेयं २ आवासे वियरति, तए णं ते वासुदेवपामोक्खा जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवा० ना हथिखंधाहितो पच्चोरुहंति त्ता पत्तेयं ॥ श्रीजाताधर्मकथाङ्गम् ॥
२०७
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279