Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan

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Page 237
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailashsagarsun Gyanmandir उपजिस्संति वा, एवं खलु वासुदेवा! जंबुद्दीवाओ भारहाओ वासाओ हथिणाउरणयराओ पंडुस्स रण्णो सुण्हा पंचण्हं पंडवाणं भारिया दोवती देवी तव पउभनाभस्स रण्णो पुव्वसंगतिएणं देवेणं अमरकंकाणयरिं साहरिया, तते णं से कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पच्छटे छहिं रहेहिं अमरकंकं रायहाणिं दोवतीए देवीए कूवं हव्वमागए, तते णं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स पउमणाभेणं रण्णा सद्धिं संगामं संगामेमाणस्स अयं संखसहे तव मुहवाया० इव इढे कंते इहेव वियंभति, तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयं वंदति० त्ता एवं व० - गच्छामि णं अहं भंते! कण्हं वासुदेवं उत्तमपुरिसं सरिसपुरिसं पासामि, तए णं मुणिसुव्वए अहा कविलं वासुदेवं एवं व० -नो खलु देवा०! एवं भूयं वा० जाणं अहंता वा अरहंत पासंति चकवट्टी वा चक्वट्टि पासंति बलदेवा वा बलदेवं पासंति वासुदेवा वा वासुदेवं पासंति, तहविय णं तु कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसभुई मझमझेणं वीतिवयमाणस्स सेयापीयाई ध्यग्गातिं पासिहिसि, तते णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयं वंदति त्ता हत्थिखधं दुरुहति त्ता सिग्धं २ जेणेव वेलाउले तेणेव ३० त्ता कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुदं मझूमझेणं वीतिवयमाणस्स सेयापीयाई ध्यग्गातिं पासति त्ता एवं वयइ एस णं मम सरिसपुरिसे उत्तमपुरिसे कण्हे वासुदेवे लवणसमुई मझमझेणं वीतीव्यतित्तिकट्ठ पंचयन्नं संखं परामुसति मुहवायपूरियं करेंति, तते णं से कण्हे वासुदेवे कविलस्स वासुदेवस्सं संखस आयन्नेति त्ता पंचयन् जाव पुरियं करेति, तते णं दोवि वासुदेवा संखसहसामायारि रेति, तते णं से कविले वासुदेवे जेणेव अमरकंका तेणेव ३० अमरकंकं रायहाणिं संभगतोरणं जावपासति त्ता पउमणाभं एवं०-किनं देवाणुप्पिया! ॥श्रीजाताधर्मकथाङ्गम् ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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