Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan

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Page 243
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatiram.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir |गामाणुगाम दूईजमाणा जाव जेणेव हत्थकप्पे नयरे तेणेव उवा० हत्थकप्पस्स बहिया सहसंबवणे उजाणे जाव विहरंति, तते णं ते जुहिडिलवजा चत्तारि अणगारा मासखभणपारणए पढमाए पोरसीए सम्झायं करेंति बीयाए एवं जहा गोयमसामी वरं जुहिहिलं आपुच्छंति जाव अडमाणा बहुजणसह णिसामेति एवं खलु देवा०! अहा अरिष्टनेमी उजिंतसेल सिहरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं पंचहिं छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धिं कालगए जाव पहीणे, तते णं ते जुहिहिल्लिवजा चत्तारि अणगारा बहुजणस्स अंतिए एयभटुं| सोच्चा हत्थकप्पाओ पडिणिक्खमंतित्ता जेणेव सहसंबवणे उजाणे जेणेव जुहिहिले अणगारे तेणेव उवा० ता भत्तपाणं पच्चुवेक्खंति त्ता गमणागमणस्स पडिकमति त्ता एसणमणेसणं आलोएंति त्ता भत्तपाणं पडिसेति त्ता एवं ३० -एवं खल देवाणप्पिया! जाव कालगए तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया! इमं पुव्वगहियं भत्तपाणं परिद्ववेत्ता सेत्तुजं पव्वयं सणियं सणियं दुरुहित्तए संलेहणाए झूसणाझूसियाणं कालं अणवक्खमाणाणं विहरित्तएत्तिकटु अण्णमण्णस्स एयभट्ठ पडिसुणेति त्ता तं पुवगहियं भत्तपाणं परिहवेति त्ता जेणेव सेत्तुजे पव्वए तेणेव उवागच्छइ त्ता सेत्तुजं पव्वयं दुरुहंति त्ता जाव कालं अणवकंखमाणा विहरंति, ततेनं ते जुहिहिलपामोक्खा पंच अणगारा समाइयमातियातिं चोइस पुव्वई० बहूणि वासाणि दोमासियाए सलेहणाए अत्ताणं झोसित्ता जस्सट्टाए कीरति णग्गभावे जाव तमट्ठमाराहेति त्ता अणंते जाव केवलवरणाणदंसणे समुप्पन्ने जाव सिद्धा॥ १३६ । तते णं दोवती अज्जा सुव्वयाणं अज्जियामं अंतिए समाइयमाइयाई एक्कारस अंगातिं अहिज्जति त्ता बहूणि वासाणि मासियाए संलेहणाए० आलोइयपडिता कालमासे कालं || ॥श्रीज्ञानायकथाङ्गम् ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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