Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 261
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir कंडरीए पुंडरीयस्सरण्णो एयमढे णो आढाति जाव तुसिणीए संचिट्ठति, त्ते णं पुंडरीए राया कंडरीयं दोच्चपि तच्चंपि एवं व०- जाव|| तुसिणीए संचिट्ठति, तते णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे नो संचाएति बहूहिं आघवणाहिं पण्णवणाहि य० ताहे अकाभए चेव एयमटुं अणुमन्नित्था जाव णिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचति जावराणं सीसभिक्खं दलयति, पव्वतिए अणगारे जाए एक्कारसंगविऊ, तते णं थेरा भगवंतो अन्नया कयाई पुंडरीगिणीओ नयरीओ णलिणीवाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमंति बहिया जणवयविहारं विहरंति।१४८॥ तते णं तस्स कंडरीयस्स अणगारस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य जहा सेलगस्स जाव दाहवकंतीए यावि विहरति, तते णं थेरा अन्नया कयाई जेणेव पोंडरीगिणी तेणेव उवागच्छन्ति त्ता णलिणीवणे समोसढा, पोंडरीए णिग्गए धम्मं सुणेति, तए णं पोंडरीए राया धम्म सोच्चा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवा० कंडरीयं वंदति णमंसति त्ता कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सव्वाबाहं सरोयं पासति त्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवा० त्ता थेरे भगवंते वंदति णमंसइ त्ता एवं व०- अहण्णं भंते! कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सव्वाबाह सरोगं अहापवत्तेहिं ओसहभेसजेहिं जाव तेइच्छं आउट्टामि तं तुब्भे णं भंते! मम जाणसालासु सभोसरह, तते णं.थे। भगवंतो पुंडरीयस्स० पडिसुणेति त्ता जाव उवसंपजित्ताणं विहरंति, तते णं पुंडरीए राया जहा मंडुए सेलगस्स जाव बलियसरीरे जाए, तते णं थेरा भगवंतो पोंडरीय रायं पुच्छंति त्ता बहिया जणवयविहारं विहरंति, तते णं से कंडरीए ताओ रोयायंकाओ विष्यमुक्के समाणे तंसि मणुण्णंसि असणपाणखाइमसाइमंसि मुच्छिए गिद्धे गढिए अझोववण्णे णो संचाएइ पोंडरीय रायं आपुच्छिता बहिया अब्भुजएणं ॥श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279