Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Arachana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir
|णं तुम एउमणाभा! तस्स अगडदहुरस्स के णं देवाणुप्पिया०! से अगडदहुरे?, एवं जहा मल्लिणाए एवं खलु देवा०! जंबुद्दीव दीवे भारहे| वासे हत्थिणारे दुपयस्स रण्णो धूया चुल्लणीए देवीए अत्तया पंडुस्स सुण्हा पंचण्हं पडवाणं भारिया दोवती देवी रुवेण य जाव उकिट्ठसरीरा दोवईए णं देवीए छिन्नस्सवि पायंगुट्ठयस्स अयं तव ओरोहे सतिमंपि कलं ण अग्धतित्तिकटु, पउमाभं आपुच्छति त्ता जाव पडिगए, तते णं से पउमनाभे राया कच्छुल्लनारयस्स अंतिए एयमलु सोच्चा णिसम्म दोवतीए देवीए रुवे य० मुछिए. दोवईए अझोववन्ने जेणेव पोसहसाला तेणेव उवा० त्ता पोसहसालं जाव पुव्वसंगतियं देवं एवं ३० -एवं खलु देवा०! जंबुद्दीवे भारहे वासे हत्थ्णिाउरे जावसरीरातं इच्छामिणं देवा०! दोवती देवी इहमाणियं, त्तेणं पुव्वसंगतिए देवेपउमनाभं एवंव०-नो खलु देवा०! एयं| भूयं वा भव्वं वा भविस्सं वाजण्णं दोवती देवी पंच पंडवे मोत्तूण अन्नेणं पुरिसेणं सद्धिं ओरालातिं जाव विहरिस्सति, तहाविय णं अहं तव पियट्टतयाए दोवती देविं इहं हव्वमाणेमित्तिकटु पउमणाभं आपुच्छइ त्ता ताए उकिट्ठाए जाव लवणसमुदं मझूमझेणं जेणेव हत्थियाउरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तेणं कालेणं० हथियाउरे जुहिडिल्ले राया दोवतीए सद्धिं उप्पिं आगासतलंसि सुहपसुत्ते यावि होत्था, तए णं से पुव्वसंगतिए देवे जेणेव जुहिट्ठिले राया जेणेव दोवती देवी तेणेव उवाग० त्ता दोवतीए देवीए ओसोवणियं दलयइ त्ता दोवतिं देविं गिण्हइ त्ता ताए उचिट्टाए जाव जेणेव अमरकंका जेणेव पउमणाभस्स भवणे तेणेव उवा० त्ता एउमणाभस्स भवणंसि असोगवणियाए दोवतिं देवीं ठावेइत्ता ओसोवणिं अवहरति त्ता जेणेव पउमणाभे तेणेव ३० त्ता एवं व० एसणं देवा०! मए ॥श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279