Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 14 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text ________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२४ उ.३ सू०१ नागकुमारदेवस्योत्पादादिकम् ६११ उयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जेजा। पन्जत. संखेज्जवासाउय जाव जे भविए नागकुमारेसु उववजित्तए, सेणं भंते! केवइयकालट्रिइएसु उववज्जेज्जा गोयमा! जहन्मेणं दसवाससहस्साइं उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाइं। एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स वत्तव्वया तहेव इह वि गक्स वि गमएसु । नवरं णागकुमारट्रिइं संवेहं च जाणेजा सेसं तं चेव ९। जइ मणुस्सेहितो उववज्जंति सन्निमणुस्सहिंतो उक्चज्जंति असन्निमणुस्सेहिंतो वा उववज्जति ? गोयमा! सन्निमणुस्सेहितो उक्वज्जति णो असन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति जहा असुरकुमारेसु उववजमाणस्स जाव असंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववजित्तए से भंते! केवइयकालट्रिइएसु उववजेजा ? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्स० उक्कोसेणं देसूणं दो पलिओवम०। एवं जहेव असंखेज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं नागकुमारेसु आदिल्ला तिनि गमगा तहेव इमस्त वि। नवरं पढमबिइएसु गमएसु सरीरोगाणा जहन्नेणं साइरेगाइं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाइं, तइयगमे ओगाहणा जहन्नेणं देसूणाई दो गाउयाई उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई सेसं तं चेव ३। सो चेव अप्पणा जहन्नकालटिइओ जाओ तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स तहेव निरवसेसं ६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालहिइओ जाओ, तस्स तिसु वि
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૪
Loading... Page Navigation 1 ... 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671