Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 14 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 636
________________ ६२२ भगवतीसूत्रे भंते ! जीवा एगसमए केवइया उववज्जति' ते खलु मदन्त ! जीवा एकसवयेनएकस्मिन् समये कियन्तो नागकुमारावासे उत्पद्यन्ते इति प्रश्नः । उत्तरमाइ-'अवसेसो सो चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स गमगो भाणियनो जाव भवादेसोति' अवशेषः स एव असुरकुमारेत्पद्यमानस्य पर्याससंज्ञिपश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकस्य गमको भणितव्यो यावद्भवादेश इति । अमुरकुमारवक्तव्यतायां संज्ञिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकवदेव अत्रापि सर्व वाच्यम् भवादेशपर्यन्तमिति । तथाहि-ते-असं. ख्यातवर्षायुष्कसंक्षिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकजीवाः ये नागकुमारावासे समुत्पचि. योग्या स्ते एकसमयेन कियन्तो नागकुमारावासे उत्पद्यन्ते इति प्रश्नस्य जघ. न्येन एको वा द्वौ वा त्रयो वा समुत्पद्यन्ते, उत्कर्षेण तु संख्याता उत्पद्यन्ते २ । तेषां जीवानां शरीराणि कीदृशसंहननयुक्तानि भवन्ति गौतम ! वज्रऋषभनाराच. की स्थिति कुछ कम दो पल्योपम की है ? अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं.' हे भदन्त वे जीव एकसमय में वहां नागकुमारावास में कितने उत्पन्न होते हैं इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! जघन्य से वहां एक अथवा दो अथवा तीन उत्पन्न होते हैं, और उत्कृष्ट से संख्यात उत्पन्न होते हैं-इस प्रकार-'अवसेमो सो चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स गमो' भाणियन्यो जाव भवादे. सोति'-असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले असंख्यात वर्ष की आयुवाले तिर्यश्चों का पाठ यावत् भवादेश तक का यहां पूरा का पूरा कहना चाहिये ।२ __ अब गौतम पुनः प्रभु से ऐसा पूछते है-हे भदन्त ! उन जीवों के शरीर कैसे संहनन वाले होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम! उनके शरीर वज्रऋषभनाराच संहनन वाले होते हैं ।३ म मे. पक्ष्या५मनी छ. वे गौतमी प्रभुने मे पूछे छ -'तेणं भंते ! जीव एगसमदणं.' 8 लगवन् त समयमा यो नागभारावाસમાં કેટલા ઉત્પન્ન થાય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે નહિ ગૌતમ! જઘન્યથી ત્યાં એક અથવા બે અથવા ત્રણ ઉત્પન્ન થાય છે. અને साथी सन्यात 41 थाय छे. माशते-'अवसेसो सोचेव असुरकुमारेस उववज्जमाणस्स गमगो भाणिययो जाव भवादेसोत्ति' असु२शुभाशमा उत्पन्न થવાવાળા અસંખ્યાત વર્ષની આ યુવાળા તિર્યંચે પાઠ યાવત્ ભવાદેશ સુધીને અહિયાં પૂરે પૂરો કહી લે. ૨, હવે ગૌતમસ્વામી ફરીથી પ્રભુને એવું પૂછે છે કે-હે ભગવન તે ના શરીરે કયા સંયુનનવાળા હોય છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૪

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