Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 13
________________ सूत्रकृताङ्गसूत्रे __ अन्वयार्थ:-- (मईमया) मतिमता-उत्पन्न केवलज्ञानेन (माहणेण) माहनेनमाहनमाहन इत्युपदेशदायिना भगवता महावीरेण (कयरे धम्मे अक्खाए) कतर:किंभूतो धर्मः-दुर्गतिगमनोद्धरणलक्षणः, आख्यात:-प्रतिपादितः (जिणाणं) जिनानाम्-रागद्वेषजयिनाम् (तं अंजु धम्म) तम् ऋजु-मायामपञ्चरहितत्वात्सरलं धर्मम् (जहातच्च) याथातथ्यं-यथावस्थितम् (मे सुणेह) मे-मम कथयतः राणुत यूयमिति ॥१॥ टीका-जम्बूस्वामी सुधर्मस्वामिनं पृच्छति--'मईमया' मतिमता-मनुते अवगच्छति कालत्रयोपेतं जगत्त्रयं यया सा मतिः केवलज्ञानाख्या, सा विद्यते शब्दार्थ-'मईमया-मतिमता' केवलज्ञान वाले 'माहणेण-माहनेन' जीवों को न मारनेका उपदेश देने वाले भगवान महावीर स्वामीने 'कयरे धम्मे अक्खाए-कतरः धर्म आख्यातः' कौनसा धर्म बताया है 'जिणाणं-जिनानां रागवेष को जीतने वाले जिनवरों के 'तं अंजु धम्म -तम् जुधर्मम्' उस सरल धर्मको 'जहातच्च-यथातथ्यम्' यथार्थ रूपसे 'मे सुणेह-मे शृणुत' मेरेसे सुनो ॥१॥ __ अन्वयार्थ-मतिमान् अर्थात् केवलज्ञानी माहन-किसी भी प्राणीको मत मार ऐसा उपदेशक भगवान महावीरने किस प्रकार का धर्म कहा है ? वीतरागों के उस माया प्रपंच से रहित धर्मको यथावस्थित रूपसे मैं कहता हूं तुम लोग सुनो ॥१॥ टीकार्थ-जम्व स्वामी सुधर्मास्वामी से पूछते हैं-तीनों कालों से युक्त तीनों लोकोंके स्वरूपको जिसके द्वारा जाने जाते हैं उस केवलज्ञान शार्थ -'मईमया-मतिमता' पण ज्ञान!! 'माहणेण-माहनेन' वन न भारपान २५१ वा गवान महावीर स्वामी ‘कयरे धम्मे अक्खाए-कतरः धर्म; आख्यातः' या धर्म यतावस छे. 'जिणाण-जिनानां' रागद्वेषन त न ५२।द्वारा 64हिट 'तं अंजु धम्म-ततं ऋजु धर्मम्' से सरस भने 'जहातच्च-याथातथ्यं यथार्थ ३५थी 'मे सुणेह-मे शृणुत' મારી પાસેથી સાંભળે ? અન્વયાર્થ–બુદ્ધિમાન અર્થાત કેવળ જ્ઞાની માહન-કઈ પણ પ્રાણીને ન મારે એ રીતના ઉપદેશક ભગવાન મહાવીર સ્વામીએ કેવા પ્રકારના ધર્મને ઉપદેશ આપેલ છે? વીતરાગોના તે માયા પ્રપંચથી રહિત ધર્મના સ્વરૂપને યથાવસ્થિત રૂપથી કહું છું તે તમે સાંભળે છે? ટીકાથ - જખ્ખ સ્વામી સુધર્મા સ્વામીને પૂછે છે, કે–ત્રણે કાળ વાળા ત્રણે લકનું સ્વરૂપ જેનાથી જાણવામાં આવે, તે કેવળજ્ઞાનને મતિ કહેવાય છે, श्री सूत्रकृतांग सूत्र : 3

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