Book Title: Adhyatma ka Amrut
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 46
________________ चाहते हैं । अगर क्रोध करना होगा तो तुम तत्काल कर लोगे और करुणा करनी होगी तो उसे कल पर टाल दोगे। अच्छे भाव वैसे तो उठते ही बड़ी मुश्किल से हैं मन में, उसमें भी हम उन्हें कल पर टाल देते हैं यह शुभ नहीं है। शुभ तत्काल करो, अशुभ को कल पर टाल दो। गुरुजिएफ के बारे में कहते हैं कि जब वे मात्र नौ वर्ष के थे तो उनके दादाजी जो मृत्यु के करीब थे, उन्होंने गुरुजिएफ को अपने पास बुलाया और कहा, 'मैं जो बात कहूँगा, शायद आज तुम उसके रहस्य को न पहचान पाओ। लेकिन बड़े होने पर यह छोटा-सा सूत्र जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ, वह तुम्हारे लिए कीमिया बन जाएगा। मेरी यही संपदा है, यही वसीयत है और मेरे पास कुछ भी नहीं है।' गुरुजिएफ के दादा ने कहा, 'कोई तुम्हें गाली दे, तुम्हारा अपमान करे तो कहना 'चौबीस घंटे बाद जवाब दूंगा।' गुरुजिएफ बच्चे थे, बचपन में इसका रहस्य समझ नहीं पाये, पर बाद में जब समझ आयी तो उन्हें लगा कि इस छोटे-से वचन में शास्त्र समाये हैं और इस छोटे-से वचन ने गुरुजिएफ का जीवन बदल दिया। गुरुजिएफ ने इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है—इस वचन को जीवन में उतारने का लाभ यह हुआ कि मेरे मित्र कई बने, पर शत्रु एक भी न बना । जब किसी को अच्छा पाया तो धन्यवाद दे दिया, वहाँ मैत्री निर्मित हो गयी और गलत को कल पर टाल दिया तो कोई शत्र नहीं हो पाया। गुरुजिएफ की इस घटना के सन्दर्भ में 'आज करे सो काल कर, काल करे सो परसों,' कितनी सही कहावत लगती है। जीवन का घड़ा खाली होता जा रहा है अतः हम अपने वर्तमान का कुछ सार्थक उपयोग कर लें। मनुष्य जीवन की कहानी भी अजीब है। बात की बात में जीवन बीत जाता है। वह मात्र देखता रह जाता है। जीवन की सांध्य वेला में उसके हाथ केवल पश्चात्ताप रहता है। समझदार मनुष्य वही है, जो एक-ए का सदुपयोग करना सीख जाए। जो लोग गप्पों में समय बिता देते हैं, उनसे मेरा विनम्र आग्रह है कि वे अपने लिए समय का उपयोग करना शुरू करें। वे सोचें- मैं कौन हूँ- कहाँ से आया हूँ- मेरा क्या कर्त्तव्य है ? हजार बार ये प्रश्न करोगे तो एक बार जवाब भी मिलेगा कि तुम आत्मा हो । समय बीतता जा रहा है। एक बार चूके तो समझो हमेशा के लिए चूके। एक भिखारी रोजाना की तरह भीख मांगने निकला। सुबह से शाम हो गई। उसे कहीं भीख नहीं मिली। सूर्यास्त हो गया तो वह घर की ओर लौटने लगा। उसे राह में एक और भिखारी मिला। उसने इस भिखारी का उदास चेहरा देखा तो समझ गया कि आज इसकी झोली खाली है। उसने कहा कि मेरे पास दो मुट्ठी चावल हैं। इनमें से एक मुट्ठी तुम ले लो।वह बड़ा प्रसन्न हुआ। __ अपने भिखारी साथी से एक मुट्ठी चावल लेकर वह जैसे ही आगे बढ़ा तो देखा कि नगर का राजा अपने सैनिकों के साथ आ रहा है। वह खुश हुआ कि राजा उसकी झोली में कुछ तो डालेगा ही, मगर वह उस समय हैरान रह गया. जब राजा उसके चरणों में गिर पडा। उसने भिखारी से कहा- 'भाई! मैं राजा जरूर हैं. मगर तुमसे भीख मांगने आया हूँ। मुझे अभी-अभी राज-ज्योतिष ने बताया है कि मुझे जो पहला भिखारी भीख देगा, उससे मेरा भला होगा। तुम मुझे जो भी चाहो भीख दे दो, कुछ भी दे दो।' For Pers.47 & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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