Book Title: Adhyatma Pravachana Part 3 Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 7
________________ पाठकों को यह तीसरा भाग तत्त्व मीमांसा प्रस्तुत करते हुए प्रस. नता का अनुभव हो रहा है। पण्डित श्री विजय मुनिजी म. ने हमारी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए अध्यात्म-प्रबचन के इस तृतीय भाग को परिवर्धन करके एवं सम्पादन करके प्रकाशित कराया है। आपने पूज्य गुरुदेव के इस पुनीत-कार्य को आगे बढ़ाया है तथा पाठकों एवं समाज के प्रति एक महत्वपूर्ण कार्य को पूर्ण करके एक बहुत बड़ी कमी को पूरा किया है । ___इसके अतिरिक्त आपने अमर भारती नामक पुस्तक में भी संशोधन परिवर्द्धन किया है और वह पुस्तक भो पुनः प्रकाशित हुई है। पुस्तक का मुद्रण, साज-सज्जा आदि प्रसिद्ध लेखक श्री श्रीचन्द जी सुराणा के द्वारा हुआ है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। ओमप्रकाश जन मन्त्री ३१-३-६२ सन्मति ज्ञानपीठ आगरा Jain Education International For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.orgPage Navigation
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