Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 14
________________ योगीराज विजयशांतिसूरिजी का . समाधी स्थान-मांडोलो योगनिष्ट योगीराज का स्वर्गवास महासुदी पंचमी को हुआ था, इस दिन प्रतिवर्ष यात्री पाते हैं इस वर्ष भी कई गांवों से यात्रीगण आए नगरजन सहित स्वामी वात्सल्य इस वर्ष नीलगिरी वालों की ओर से हवा। यहां एक धर्मशाला सेठ शिखरचन्दजी रामपुरिया बीकानेर की ओर, से दूसरी शान्ता बहिन अहमदाबाद लालमीलवालों की ओर से बनी है, अस्पताल भी बनरहा है नर्स कम्पाउन्डर डाक्टर काम कर रहे हैं। सेठ किशनचन्दजी की प्रेरणा से उद्घाटन श्रीमान् सुखाडियाजी से कराया गया। गुरुमंदिर का निर्माण किशनचन्दजी व रुक्मणी बहिन की ओर से हुआ है, श्री किशनचन्दजी जैन गुरुभक्त हुए यह बात उनके धर्मगुरु को मालूम हुई और नाराज होकर गुरुदेव को पराजित करने आबू आये । मालूम होते योगीराज ने किशनचंदजी को कहाकि आगंतुक महोदय को गाजेबाजे से समारोह के साथ स्वागत कर लामो, वैसा ही किया। आपने उनको कुर्सी पर बैठाये और सब प्रासन लगा सामने बैठे । गुरुजी ने संस्कृत भाषा में निज मंतव्य जाहिर किया उसका उत्तर देते रहे । आश्चर्य पा गुरुजी ने सभासद को बाहर जाने को कहा और आप दोनों के बीच वार्ता शुरू हुई। चर्चा समाप्ति के बाद गुरुजी ने सेठ किशनचन्दजी को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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