Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 79
________________ श्री उमेदपुर नगर में अंजनशलाका व प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्त 'श्री संघ आमंत्रण पत्रिका में से लिये हुए उद्गार वीर संवत् २४६४ विक्रम संवत् १९६५ मगसिर वदी ७ सोमवार ता० १४-११-१९३८ हमारे सद्भाग्य से तीन इंच ऊँची श्री अमीझरा उमेद पूरण पार्श्वनाथ भगवान् के सहस्रफणा और अति आकर्षक बिम्ब की अंजनशलाका विक्रम सं१९६१ की माघ सुदी पंचमी के दिन पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय, जगतवन्दनीय, जगतगुरु, अनन्तजीव प्रतिपाल, राजराजेश्वर, योग लब्धिसम्पन्न, योगीन्द्र चूड़ामणि आचार्य भगवान् श्री श्री श्री १००८ श्री श्री विजयशान्तिसूरीश्वरजी महान् योगिराज के पवित्र कर कमलों से श्री बामणवाड़जी तीर्थ में हुई थी। उस समय आप श्री के आशीर्वाद के अनुसार श्याम प्रतिमाजी के स्थान-स्थान पर, अंजनशलाका के पूर्व जो छींटे थे, वे मिट गये और नेत्रों से अमी झरती हुई देखने में आई है। ऐसे महाप्रतापी जिन बिम्ब को नूतन श्री जिन चैत्य में सिंहासन पर विराजमान करने की तथा नूतन श्री जिन बिम्बों के अंजनशलाका की महत्त्वशाली क्रियाएँ इन्हीं परमपूज्य महान् योगिराज के पवित्र कर कमलों से होगी। लो० ४८ गामों के पंचों को सही, मु० श्री उमेदपुर जैन बालाश्रम, उमेदपुर, वाया-एरनपुर आबू में विराजते हुए जगतगुरु आचार्य सम्राट श्री १००८, श्री विनयशान्तिसूरीश्वरजी महाराज ने हैदराबाद सिन्ध में अपने एक भक्त को अग्निदाह से बचाया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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