Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 80
________________ ५३ सं० १९६३ भाद्रपद कृष्ण ५ को स्वर्गीय योगनिष्ठ महात्मा आचार्य श्रीविजयकेसरसूरीश्वरजी महाराज की जयंति हैद्राबाद (सिंध) के प्रसिद्ध धनकुबेर सुविख्यात पहुमल ब्रदर्स नामी फर्म के मालिक सेठ किशनचन्दजी पहमल की अध्यक्षता में बड़े समारोह के साथ मनाई गई। आपने अपने भाषण में अनुभव का एक उदाहरण दिया और कहा कि मैं अपने निवास स्थान पर आराम से सो रहा था। रात्रि को अचानक इलेक्ट्रिक वायरींग में आग लग गई। मैं गम्भीर निद्रा में मग्न था, मुझे आग लगने की बात कुछ भी मालूम नहीं पड़ी थी, एकाएक आचार्य भगवान् ने दर्शन देते हुए मुझको चिताया कि उठो तुम्हारे घर में आग लग गई है यह सन्देश सुना तो मैं घबरा कर उठा, आग लगती हुई देखी। गुरुदेव भगवान् की कृपा से मेरे तथा अन्य बहुत से नर नारियों और बच्चों के प्राण बच गये। मैंने श्री गुरुदेव भगवान् से कहा कि आपने जीवनदान दिया। श्री गुरुदेव बोले तुम अनन्य भक्त हो। पश्चात् सेठ साहेब ने कहा कि जिसको समाधि मरण होता है वह अवश्यमेव उच्च गति को प्राप्त होता है। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हमने "श्री बृहत् जीवन प्रभा" के पृष्ट ३५२-३५३ में पाया है। एक समय केसरविजयजी ने गुरुदेव भगवान् को फ़रमाया कि यह जीव तो अनादि काल से फिर रहा है। अगर समाधि मरण हो जाय तो कल्याण हो जाय, इसलिये अन्तिम समय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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