Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 32
________________ हाकीम साहब विश्वनाथजी स्टेशन पर थे जिन से पता लगा श्रीजी हजूर व्याधिग्रस्त होने में उदयपुर पधारे हैं, शाम को सादड़ी पहुंचा सारी घटना हाकिम सहाब को निवेदन की परन्तु उनको विश्वास नहीं हुमा । मैं दिन गिन रहा था कि शाम को हाकिम साहब और मैं होज़ में स्नान कर रहे थे इतने में नीमच से घुड़सवार तार लेकर आया, हाकिम साहब ने पढ़ा तो वही बात सिद्ध हुई मैंने कहा आज का छठा दिन है उठे और मातम मनाया गया। यह कथा आश्चर्य जैसी है, इसको मैं योग विभूति मानता हूँ। एकदा श्रीमान् प्राचार्य महाराज हरिसागर सूरिजी शिष्यों सहित प्राबू पधारे और योगिराज से मिल निज उतारे पा शिष्यों को कहाकि कुछ ढोंग मालूम होता है, जब आप दूसरी बार गये तो जो बातें शिष्यों के साथ की थी सारी योगिराज ने कह सुनाई और कहाकि किस बात में ढोंग मालूम हुआ ? लज्जित हुए और क्षमा मांगी। एक सुनार का लड़का घर से चला गया ढूंढ़ने पर न मिला तो वह गुरूदेव के चरणों में आकर कहने लगा कि मेरा लड़का बताओ अनशन कर बैठ गया, लोगों ने बहुत समझाया परन्तु वह हठवादी माना नहीं । तीसरे दिन सबेरे उसको कहाकि स्टेशन पर जाकर देखना । सुनार तत्काल रवाना हो स्टेशन पर पहुंचा और लड़का गाड़ी से उतरा। साथ ले गुरूदेव के चरणों में प्रा नमन कर घर चला गया । गुरूदेव पर कई लोगों को अपूर्व श्रद्धा थी और गुरू कृपा से चमत्कार भी मालूम होते थे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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