Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 52
________________ अहीर कुल का इतिहास परम पूज्यपाद आचार्यदेव का जन्म अहीर (रबारी) जाति में हुआ। शिक्षा एवं संगठन के अभाव से यह जाति आजकल अवनतावस्था में है इस जाति की वर्तमान हीनअवस्था देखकर इसे सामान्य पशु चराने वाली जाति समझना इसके साथ अन्याय करना है। इस जाति का भूत-काल का इतिहास समज्ज्वल एवं स्फूर्तिप्रद है। भारत की सर्वस्व-रूपा गोजाति की रक्षक होने के नाते यह जाति भारत की रक्षा करने वाली कही जा सकती है। समय-समय पर प्राणों की बाजी लगाकर इस जाति ने जो जाति की रक्षा की है। भारतवासियों के लिए इस जाति ने जो महान त्याग एवं बलिदान किया है उसके लिए भारत का बच्चा-बच्चा इस जाति का कृतज्ञ रहा है और रहेगा। वास्तव में ये लोग क्षत्रिय हैं। प्राचीन समय में क्षत्रिय लोग गौ जाति की रक्षा करना अपना मुख्य कर्तव्य समझते थे। महर्षि वसिष्ठ ने गौ जाति की बड़ी सेवा की थी। यदुवंश में महाराज कृष्ण ने गौ जाति की इतनी सेवा को कि वे गोपाल के नाम से आज तक प्रसिद्ध हैं। आजकल राजाओं की “गौ ब्राह्मण-प्रतिपालक" आदि से महत्त्वना करते हैं और यह माननीक शब्द है । महाराज दिलीप गौ सेवा के खातिर कुछ समय के लिए राज्य छोड़कर जंगल में संन्यासी की तरह रहे एवं प्राणों की बाजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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