Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 54
________________ और ऐश्वर्य-ये क्षत्रियों के स्वाभाविक गुण हैं । क्षत्रियों के ये स्वाभाविक गुण इस जाति के व्यक्ति-व्यक्ति में आज भी पाये जाते हैं । ब्रह्मचर्य पालना, लाल वस्त्र धारण करना, दंड रखना आदि क्षत्रियों के लिए मनु महाराज की कही गई बातें आज भी इस जाति के रहन-सहन और आचार-विचार में पाई जाती हैं। इस जाति का इतिहास यह भी बतलाता है कि इन लोगों ने गुजरात और मारवाड़ में अनेक बस्तियां बसाईं। राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए भी इन्होंने क्षत्रियों की ही तरह वीरता के साथ अपना खून बहाया है । गुजरात, सौराष्ट्र, मारवाड़ आदि के इतिहास में उनकी वीरता की असंख्य अमर आख्यायिकाएं मिलेंगी। जगदेव सोमोड़ और उनकी राया और हरी कन्याओं की धर्मपरायणता और वीरता की कहानी से मालूम होता है कि इस जाति में पद्मावती और प्रताप की तरह ही क्षत्रियों का खून बहता है । जगदेव सोमोड़ के राया और हरीना नाम की दो कन्याएँ थीं। उनके रूप और गुण की प्रशंसा सुन मुग़ल सम्राट ने उन्हें अपने अन्तःपुर में रखना चाहा। सम्राट् की बुरी नियत का पता लगने पर जगदेव ने अपनी कन्याओं को अन्यत्र भेज दिया। इस पर मुग़लों ने गो-बध प्रारम्भ कर दिया। जगदेव का खून खौल उठा। उसने विशाल--मुगल--सेना का वीरता के साथ सामना किया पर उसकी परिमित शक्ति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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