Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 71
________________ बम्बई के सुप्रसिद्ध सेठ मंगलदास की धर्मपत्नी बहिन श्री सुन्दर बहिन (कच्छ-भुजपुर-निवासी-सेठ देवजी टोकरशी कम्पनी, भात बाजार, बम्बई नं० ३) तथा कच्छ दुर्गापुर निवासी, बम्बई के सुप्रसिद्ध सेठ हीरजी भाई घेला भाई की सुपुत्री को जगतगुरु प्राचार्य भगवान् श्री विजयशान्ति सूरीश्वरजी महाराज साहेब द्वारा दिये गये दर्शन बहिन श्री सुन्दर बहिन ने अपने धर्मपति तथा कुटुम्ब से कहा कि श्री प्राचार्य भगवान् पाबूजी से मुझे दर्शन देकर कह गये हैं इसलिये मैं सभी को जतलाती हूं कि रविवार की रात को मैं गुरुदेव भगवान् के चरणों में जाऊंगी। उसी दिन रात को बहिन श्री ने प्रात्मजागृति पूर्वक ध्यानस्थ अवस्था में देह त्याग किया था। बड़े बड़े पण्डित और शास्त्रकार भी समाधी मरण नहीं पाते, वह मरण इस बहिन श्री ने प्राप्त किया था। यदि मृत्यु की अंतिम घड़ी में शान्ति और समाधि हो जाय तो अवश्य समाधि मरण होता है । 'समाहीमरणं च बोहीलाभो' ( आवश्यक सूत्र )--समाधि मरण हो और बोधि बीज की प्राप्ति हो। जिसके भव का अन्त पाने वाला होता है उसको ही समाधि मरण होता है पर वह समाधि मरण श्री सद्गुरु की कृपा बिना प्राप्त नहीं होता । जिसकी आत्मा शुद्ध और पवित्र होती है उसको यह प्राप्त होता है। 'भावना भवनाशनी' इसलिये मरते समय शुद्ध भाव आजाता है, उसके भव का अन्त हो जाता है। बहिन श्री का आत्मा शुद्ध और पवित्र था। 'सोहीउज्जुयभूयस्स, धम्मोसुद्धस्सचिट्ठई' ( उतराध्ययन-तीसरा अध्ययन ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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