Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 53
________________ २८ लगाकर गौरक्षा व्रत का पालन किया। यही कारण है कि आज भी क्षत्रिय लोग गौ ब्राह्मण-प्रतिपालक कहे जाते हैं । आज भी इस जाति में चावड़ा, परमार, भीम, सोलंकी, राठोड़, यादव, मकवाणा आदि क्षत्रियों की अनेक शाखाएँ विद्यमान हैं। रायका, रबारी, देसाई आदि नामों से यह जाति प्रसिद्ध है। ये नाम भी इस जाति का शासक क्षत्रिय जाति होना सिद्ध करते हैं। राय का अर्थ राज्य है। राज्य करने के कारण ये लोग रायका कहलाये। रबारी शब्द दरबारीका अपभ्रंश रूप है। दरबारी शब्द का 'द' उड़ गया और शेष रबारी रह गया। इसी तरह देश में सर्व प्रथम आने के कारण यह जाति देसाई नाम से मशहूर हुई। इस जाति के प्राचार-विचार एवं रीति-रिवाज भी क्षत्रियों से प्रायः मिलते-जुलते हैं। रोटी-व्यवहार तो आज भी उस जाति का क्षत्रियों के साथ है । भाट लोगों के पोथे जिनमें कि इस जाति का इतिहास मिलता है, देखने से मालूम होता है कि प्राचीन काल में क्षत्रियों के साथ इस जाति का बेटो-व्यवहार भी रहा है। गीता में क्षत्रियों के स्वाभाविक गुण बतलाते हुए कहा है-. शौर्य तेजो धृति दक्ष्यिं युद्धं चाप्यपलायनम् दानमीश्वर भावाश्च क्षात्र कर्म स्वभावजम् ।। भावार्थ-शूरता, तेज, धैर्य, दक्षता, युद्ध से न भागना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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