Book Title: Abuwale Yogiraj ki Jivan Saurabh
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 60
________________ प्राचार्य देव पाबू में विराजते थे उस समय आपने बम्बई में दर्शन दिये पिछले उपवास की रात को मुझे एक दिव्य प्रकाश दिखाई दिया। उसमें आबू में विराजते योगीराज जगतगुरु आचार्य भगवान् श्रीविजयशान्तिसूरीश्वरजी महाराज के दर्शन हुए। उन्होंने आदेश दिया कि अपना हठ त्याग कर पारणा कर लो। इससे मुझे पूर्ण श्रद्धा हुई कि प्राचार्य का जो आदेश है उसका प्रकृति के साथ सम्बन्ध है। पहले जब आबू से तार द्वारा श्री कृपालु प्राचार्य देव ने पारणा करने की आज्ञा दी थी, उस समय मुझे उन पर विश्वप्रेमी महापुरुष के रूप में श्रद्धा न थी। जब मैं उनके पास रहा और उनके सम्पर्क में आया तब भी मुझे उन पर पूर्ण श्रद्धा न थी और मैं यह समझता था कि उनका और मेरा धर्म जुदा है। दूसरी अनेक शंकाओं के साथ कई लोग उनके विरुद्ध बोलते थे, इस कारण भी मुझे उन महापुरुष की यथार्थता पर पूरी पूरी श्रद्धा न थी। लेकिन पिछले उपवास में मुझे उनका भास तथा प्रकाश मिला और इस कारण उनके प्रति विश्व के महात्मा पुरुष के रूप में मेरा विश्वास स्थापित हुआ । इसीलिये उनके आदेश को प्रकृति की प्रेरणा समझ कर मैंने पारणा कर लिया। स्थानकवासी जैनपत्र ता० ११-१-१९३७ तपस्वी मुनि श्री मिश्रीलालजी के आन्तरिक उद्गार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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