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बाबूवाले योगिराज का महत्त्व पूर्ण प्रभाव
योग विभूति सम्पादन करना सहज बात नहीं है, जिन पुरुषों ने योग महिमा को समझा है, और योग व्याख्या श्रवण कर अनुभव प्राप्त किया हो वे ही पुरुष इस महत्त्व पूर्ण विषय को समझ सकते हैं, योगियों की क्रियाएं अद्भुत होती हैं, और वह निज का समय व्यर्थ नहीं खोते, उनके जीवन काल का कुछ समय तो बहुमूल्य होता है, और अक्सर गिरि कन्दरा वन पहाड़ पर्वतादि के सुरम्य सुहावने स्थानों पर गहरी झाड़ियों में जहाँ पक्षी का संचार-कलरव भी न हो, निर्जन स्थान हो मन्द मन्द वायु संचार होता हो, ऐसे स्थान ही योगियों को विशेष प्रिय होते हैं, क्योंकि ऐसे स्थानों में आत्म जागति ध्यान स्मरण आनन्द के साथ होते हैं, और धीरे धीरे वह निजका अभ्यास उच्च कक्षा तक पहुंचा सकते हैं, और इसीलिए योग विभूति का प्रभाव उनके मुख पर चमकता है और वह प्रभावशाली दिखते हैं, उनमें गुरुत्वाकर्षण आ जाने से प्रिय बन जाते हैं, और प्राप्त शक्तियां व विभूतियों की ओर तनिक भी आग्रह नहीं होता, आगे गति करते रहते हैं, जिन योगियों को प्राप्त शक्ति पर मोह होता है, और विभूति रक्षा के लिए प्रयत्न करते हैं, उनके पास विभूतियां नहीं ठहरती, और प्राप्त शक्तियांविभूतियां भी अपने आप विलय हो जाती है, अथवा प्राप्त
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