________________ 29 3 अध्या०- अध्याय-द्रव्यानुयोगतर्कणा में हैं। 4 अष्ट०- अष्टक-हारिभद्राष्टक और यशोविजयाष्टक में हैं। 5 उ०-उद्देश-सूत्रकृताङ्ग, भगवती, निशीथचूर्णि, बृहत्कल्प, व्यवहार, स्थानाङ्ग और आचाराङ्ग में हैं। 6 उल्ला०-उल्लास-सेनप्रश्न में हैं। 7 कर्म-कर्मग्रन्थ-कर्मग्रन्थ में हैं। 8 कल्प-कल्प-विविधतीर्थकल्प में हैं। 6 ठा०-ठाणा-स्थानाङ्गसूत्र में हैं। 10 खण्ड-खण्ड-उत्तराध्ययननियुक्ति में हैं। 11 क्षण-क्षण-कल्पसुबोधिका में हैं। 12 काण्ड-काण्ड-सम्मतितर्क में हैं। 13 द्वा०-द्वात्रिंशिका-द्वात्रिंशदद्वात्रिंशिका में हैं। 14 द्वार-द्वार-पञ्चवस्तुक, पञ्चसंग्रह, प्रवचनसारोद्धार और प्रश्नव्याकरण में हैं। (प्रश्नव्याकरण में आश्रवद्वार और संवरद्वार के नाम से ही द्वार प्रसिद्ध हैं) 15 पद-पद-प्रज्ञापनासूत्र में हैं। 16 परि०-परिच्छेद-रत्नाकरावतारिका में हैं। 17 चू०-चूलिका-दशवकालिक और आचाराङ्ग में हैं। 18 प्रति०-प्रतिपत्ति--जीवाभिगम सूत्र में हैं। 16 पाद-पाद-प्राकृतव्याकरण और उसकी टीका ढुण्ढिका में हैं। 20 पाहु०-पाहुडा-चन्द्रप्रज्ञप्ति, सूर्यप्रज्ञप्ति, ज्योतिषकरण्डक में हैं। 21 वर्ग-वर्ग-निरयावलिका, अणुत्तरोववाई, अन्तकृद्दशाङ्ग में हैं। 22 विव०-विवरण-षोडशप्रकरण और पञ्चाशक में हैं। २३-प्रका०-प्रकाश-हीरप्रश्न में हैं। 24 प्र०-प्रश्न-सेनप्रश्न में हैं। 25 श०-शतक-भगवती सूत्र में हैं। 26 श्रु०-श्रुतस्कन्ध-सूत्रकृताङ्ग, आचाराङ्ग, ज्ञाताधर्मकथा और विपाकसूत्र में हैं। 27 वक्ष०-वक्षस्कार-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में हैं। 28 सम०--समवाय-समवायाङ्ग सूत्र में हैं। 26 सू०-सूत्र--पञ्चसूत्र में हैं।