________________ 33 इस ग्रन्थ के हर एक भागों में आये हुए शब्दों में से थोडे शब्दों के उपयोगी विषय दिये जाते हैं प्रथम भाग के कतिपय शब्दों के संक्षिप्त विषय१-'अंतर' शब्द पर अन्तर के भेद, द्वीप पर्वतों में परस्पर अन्तर, जम्बूद्वारों में परस्पर अन्तर, जिनेश्वरों में परस्पर अन्तर, ऋषभस्वामी से वीर भगवान् का अन्तर, ज्योतिष्कों का और चन्द्रमण्डल का अन्तर, चन्द्र सूर्यों का परस्पर अन्तर, ताराओं का परस्पर अन्तर, सूर्यों का परस्पर अन्तर, धातकीखण्ड के द्वारों का अन्तर, विमानकल्पों का अन्तर, आहार के आश्रय से जीवों का अन्तर, और सयोगि भवस्थ केवल्यनाहारक का अन्तर इत्यादि विषय देखने के योग्य है। 2- अचित्त' शब्द पर अचित्त पदार्थ का, तथा 'अच्छेर' शब्द पद दश 10 आश्चर्यों का निरूपण देखना चाहिए। ३-'अजीव' शब्द पर द्रव्य-क्षेत्र काल-भाव से अजीव की व्याख्या की हुई है। ४-'अज्जा' शब्द पर आर्या (साध्वी) को गृहस्थ के सामने दुष्टभाषण करने का निषेध, और विचित्र (नाना रंग वाले) वस्त्र पहिरने का निषेध, तथा गृहस्थ के कपडे सीने का निषेध, और सविलास गमन करने का निषेध, पर्या गादी तकिया आदि को काम में लाने का निषेध, स्नान अङ्गरागादि करने का निषेध, गृहस्थों के घर जाकर व्यावहारिक अथवा धार्मिक कथा करने का निषेध, तरुण पुरुषों के आने पर उनके स्वागत करने का, तथा पुनरागमन कहने का निषेध, और उनके उचिताचारादि विषय वर्णित हैं। ५-'अणायार' शब्द पर साधुओं के अनाचार; 'अणारिय' शब्द पर अनार्यों का निरूपण; 'अणुओग' शब्द पर अनुयोग शब्द का अर्थ, अनुयोगविधि, अनुयोग का अधिकारी, तथा अनुयोगों की पार्थक्य आर्यरक्षित से हुई है, इत्यादि; और 'अणुव्वय' शब्द पर भङ्गियों के विभाग देखने के लायक हैं। ६-'अणेगंतवाय' शब्द पर स्याद्वाद का स्वरूप, एकान्तवादियों को दोष, अनेकान्तवादियों के मत का प्रदर्शन, अनेका-न्तवाद के प्रत्यक्षरूप से दिखाई देते हुए भी उसको तिरस्कार करने वालों की उन्मत्तता, एकान्तरूप से उत्पत्ति अथवा नाश मानने में दोष, हर एक वस्तु के अनन्तधर्मात्मक होने में प्रमाण, वस्तु की एकान्तसत्ता माननेवाले सांख्यमत का खण्डन इत्यादि विषय उत्तमोत्तम दिखाए गए हैं। 7 'अण्णउत्थिय' शब्द पर एक जीव एक समय में दो आयुष्य करता है कि नहीं? इसपर अन्ययूथिकों के साथ विवाद, अदत्तादानादि क्रिया के विषय में विवाद, एक समय में एक जीव के दो क्रिया करने में विवाद, कल्याणकारी शील है या श्रुत है? इस पर अन्ययूथिकों के साथ विवाद, और अन्ययूथिकों के साथ गोचरी का निषेध, तथा अन्ययूथिकों को भोजन देने का निषेध, एवं उनके साथ विचारभूमि या विहारभूमि में जाने का निषेध आदि विषय आवश्यकीय हैं। ८-'अदत्तादाण' शब्द पर अदत्तादान के नाम, अदत्तादान का स्वरूप, अदत्तादान का कर्ता, और अदत्तादान का फल इत्यादि विषय उपकारी हैं। ६-'अदृगकुमार' शब्द पर आर्द्रककुमार की कथा, रागद्वेषरहित के भाषण करने में दोषाभाव, बीजादि के उपभोक्ता श्रमण (साधु) नहीं कहे जाते, समवसरणादि के उपभोग करने पर भी अर्हन भगवान् के कर्मबन्ध न होने का प्रतिपादन, केवल भावशुद्धि ही को माननेवाले बौद्धों का खण्डन, बिना हिंसा किए हुए भी मांस खाने का निषेध आदि विषय प्रदर्शित किए गए हैं। 10- 'अधिगरण' शब्द पर कलह करने का निषेध, उत्पन्न हुए कलह को शान्त करने की आज्ञा,कलह उत्पत्ति के कारण, कहल करके दूसरे गण में जाने का निषेध, गृहस्थ के साथ कलह उत्पन्न हो जाने पर उसको बिना शान्त किये पिण्डादि ग्रहण करने का निषेध इत्यादि विषय स्मरण रखने के योग्य हैं। 11- 'अप्पाबहुय' शब्द पर अल्पबहुत्व के चार भेद, पृथ्वीकायादिकों के जघन्याद्यवगाहना से अल्पबहुत्व, आहारक और अनाहारक जीवों का अल्पबहुत्व, सेन्द्रियों का परस्पर अल्पबहुत्व, क्रोधादि कषायों का अल्पबहुत्व, किस क्षेत्र में जीव थोड़े है और किसमें बहुत है इसका निरूपण, जीव और पुद्गलों का अल्पबहुत्व, तथा ज्ञानियों का अल्पबहुत्व आदि अनेक विषय हैं।