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अक्रम ज्ञान से नकद मोक्ष 'ज्ञानीपुरुष' अभी आपके समक्ष प्रत्यक्ष हैं तो मार्ग भी मिलेगा; वर्ना ये लोग भी बहुत सोचते हैं, परंतु मार्ग नहीं मिलता और उल्टे रास्ते चले जाते हैं। 'ज्ञानीपुरुष' तो शायद ही कभी, एकाध प्रकट होते हैं और उनके पास से ज्ञान मिलने से आत्मानुभव होता है। मोक्ष तो यहाँ नकद होना चाहिए। यहीं पर देह सहित मोक्ष बरतना चाहिए। इस अक्रम ज्ञान से नकद मोक्ष मिल जाता है और अनुभव भी होता है, ऐसा है!
ज्ञानी ही कराए आत्मा-अनात्मा का भेद ___जैसे इस अंगूठी में सोना और ताँबा दोनों मिले हुए हैं, इसे हम गाँव में ले जाकर किसी से कहें कि, 'भैया, अलग-अलग कर दीजिए न!' तो क्या कोई भी कर देगा? कौन कर पाएगा?
प्रश्नकर्ता : सोनी ही कर पाएगा।
दादाश्री : जिसका यह काम है, जो इसमें एक्सपर्ट है, वह सोना और ताँबा दोनों अलग कर देगा। सौ टच सोना अलग कर देगा, क्योंकि वह दोनों के गुणधर्म जानता है कि सोने के गुणधर्म ये हैं और ताँबे के गुणधर्म ऐसे हैं। उसी प्रकार ज्ञानीपुरुष आत्मा के गुणधर्म को जानते हैं और अनात्मा के गुणधर्म को भी जानते हैं।
जैसे अँगूठी में सोने और ताँबे का 'मिक्स्चर' हो तो उसे अलग किया जा सकता है। सोना और ताँबा दोनों कम्पाउन्ड स्वरूप (रूप) हो जाते तो उन्हें अलग नहीं किया जा सकता। क्योंकि इससे गुणधर्म अलग ही प्रकार के हो जाते। इसी प्रकार जीव के अंदर चेतन और अचेतन का मिक्स्चर है, वे कम्पाउन्ड के रूप में नहीं हैं। इसलिए फिर से अपने स्वभाव को प्राप्त कर सकते हैं । कम्पाउन्ड बन गया होता तो पता ही नहीं चलता। चेतन के गुणधर्मों का भी पता नहीं चलता और अचेतन के गुणधर्मों का भी पता नहीं चलता और तीसरा ही गुणधर्म उत्पन्न हो जाता। लेकिन ऐसा नहीं है। उनका तो केवल मिक्स्चर बना है।
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