Book Title: Aatmsakshatkar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 25
________________ की जो प्रगति होती है उस प्रगति की स्पीड किस पर आधारित है? क्या करने से तेजी से प्रगति होगी? दादाश्री : पाँच आज्ञा पालें तो सबकुछ तेज़ी से होगा और पाँच आज्ञा ही उसका कारण है। पाँच आज्ञा पालने से आवरण टूटता जाता है। शक्तियाँ प्रकट होती जाती हैं। जो अव्यक्त शक्तियाँ हैं, वे व्यक्त होती जाती हैं। पाँच आज्ञा पालन से ऐश्वर्य व्यक्त होता है। सभी तरह की शक्तियाँ प्रकट होती हैं। आज्ञापालन करने पर निर्भर करता है। हमारी आज्ञा के प्रति सिन्सियर रहना वह तो सब से बड़ा मुख्य गुण है। हमारी आज्ञा पालन करने से जो अबुध हुआ वह हमारे जैसा ही हो जाएगा न! लेकिन जब तक आज्ञा का सेवन है, तब तक फिर आज्ञा में बदलाव नहीं होना चाहिए। तो परेशानी नहीं होगी। दृढ़ निश्चय से ही आज्ञा पालन दादा की आज्ञा का पालन करना है वही सब से बड़ी चीज़ है। आज्ञा का पालन करना है ऐसा तय करना चाहिए। आज्ञा का पालन हो पाता है या नहीं, वह आपको नहीं देखना है। आज्ञा का जितना पालन हो सके उतना ठीक है, लेकिन आपको तय करना चाहिए कि आज्ञा पालन करना है। प्रश्नकर्ता : आज्ञा पालन कम या ज्यादा हो पाए तो, उसमें हर्ज नहीं है न? दादाश्री : हर्ज नहीं, ऐसा नहीं है। आपको तय करना है कि आज्ञा का पालन करना ही है? सुबह से तय करना है कि 'मुझे पाँच आज्ञा में रहना है, पालन करना है।' तय किया तभी से हमारी आज्ञा में आ गया मुझे इतना ही चाहिए। आज्ञा का पालन करना भूल जाए तो प्रतिक्रमण करना कि 'हे दादा दो घंटों के लिए मैं भूल गया था, आपकी आज्ञा भूल गया लेकिन मुझे तो आज्ञा का पालन करना है। मुझे माफ कीजिए।' तो पिछली सभी परीक्षाएँ पास । सौ के सौ मार्क्स पूरे। इससे जोखिमदारी नहीं रहेगी। आज्ञा में आ २२

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