Book Title: Aatmsakshatkar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 45
________________ पहले जो घर्षण हो चुके थे और उससे जो नुकसान हुआ था, वही वापस आता है। लेकिन अब यदि नया घर्षण पैदा करोगे, तो फिर शक्तियाँ चली जाएँगी। आई हुई शक्ति भी चली जाएगी और यदि खुद घर्षण होने ही न दें, तो शक्ति उत्पन्न होती रहेगी! ___ इस दुनिया में बैर से घर्षण होता है। संसार का मूल बीज बैर है। जिसके बैर और घर्षण - ये दो बंद हो गए, उसका मोक्ष हो गया। प्रेम बाधक नहीं है, बैर जाए तो प्रेम उत्पन्न हो जाए। कॉमनसेन्स, ऐवरीव्हेर एप्लिकेबल ___ कोई हम से टकराए लेकिनहम किसी से नहीं टकराएँ, इस तरह रहें तो 'कॉमनसेन्स' उत्पन्न होगा। लेकिन हमें किसी से टकराना नहीं चाहिए, वर्ना 'कॉमनसेन्स' चला जाएगा! अपनी ओर से घर्षण नहीं होना चाहिए। सामनेवाले के घर्षण से अपने में 'कॉमनसेन्स' उत्पन्न होता है। आत्मा की यह शक्ति ऐसी है कि घर्षण के समय कैसे बर्ताव करना, उसके सारे उपाय बता देती है और एक बार दिखा दे, तो फिर वह ज्ञान जाएगा नहीं। ऐसा करते करते 'कॉमनसेन्स' बढ़ता जाता है। इस दीवार के लिए उल्टे विचार आएँ तो हर्ज नहीं है, क्योंकि एकपक्षीय नुकसान है। जब कि किसी जीवित व्यक्ति को लेकर एक भी उल्टा विचार आया तो जोखिम है। दोनों तरफ से नुकसान होगा। लेकिन हम उसका प्रतिक्रमण करें तो सारे दोष चले जाएँगे। इसलिए जहाँ-जहाँ घर्षण होते हैं, वहाँ पर प्रतिक्रमण करो, तो घर्षण खत्म हो जाएँगे। जिसे टकराव नहीं होगा, उसका तीन जन्मों में मोक्ष होगा, उसकी मैं गारन्टी देता हूँ। टकराव हो जाए, तो प्रतिक्रमण कर लेना। वे सब टकराव होंगे ही। जब तक यह विकारी कारण है, संबंध हैं, तब तक टकराव होंगे ही। टकराव का मूल ही यह है। जिसने विषय को जीत लिया, उसे कोई नहीं हरा सकता। कोई उसका नाम भी नहीं ले सकता। उसका प्रभाव पड़ता है। ४२

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