Book Title: Aatmsakshatkar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 51
________________ कानून एक्जेक्ट है और उसमें कोई परिवर्तन कर ही नहीं सकता। जगत् में ऐसा कोई कानून नहीं है कि जो किसीको भोगवटा (सुख-दुःख का असर) दे सके! हमारी कुछ भूल होगी तभी तो सामनेवाला कहेगा न? इसलिए भूल खत्म कर दो न! इस जगत् में कोई जीव किसी भी जीव को तकलीफ नहीं दे सकता, ऐसा स्वतंत्र है और जो तकलीफ देता है वह पहले जो दखलें की थी उसी का परिणाम है। इसलिए भूल खत्म कर डालो फिर हिसाब नहीं रहेगा। जगत् दुःख भोगने के लिए नहीं है, सुख भोगने के लिए है। जिसका जितना हिसाब होगा उतना ही होता है। कुछ लोग सिर्फ सुख ही भोगते हैं, वह कैसे? कुछ लोग सिर्फ दुःख ही भोगते हैं वह कैसे? खुद ही ऐसा हिसाब लेकर आया है इसलिए। जो दुःख खुद को भोगने पड़ते हैं वह खुद का ही दोष है, किसी दूसरे का नहीं। जो दुःख देता है, वह उसकी भूल नहीं है। जो दुःख देता है, उसकी भूल संसार में और जो उसे भुगतता है, उसकी भूल भगवान के नियम में होती है। परिणाम खुद की ही भूल का जब कभी भी हमें कुछ भी भुगतना पड़ता है, वह अपनी ही भूल का परिणाम है। अपनी भूल के बिना हमें भुगतना नहीं होता। इस जगत् में ऐसा कोई भी नहीं है कि जो हमें किंचित्मात्र भी दुःख दे सके और यदि कोई दुःख देनेवाला है, तो वह अपनी ही भूल है। सामनेवाले का दोष नहीं है, वह तो निमित्त है। इसलिए 'भुगते उसी की भूल'। कोई पति और पत्नी आपस में बहुत झगड़ रहे हों और जब दोनों सो जाएँ, फिर आप गुपचुप देखने जाओ तो पत्नी गहरी नींद सो रही होती है और पति बार-बार करवटें बदल रहा होता है, तो आप समझ लेना कि पति की भूल है सारी, क्योंकि पत्नी नहीं भुगत रही है। जिसकी भूल होती है, वही भुगतता है और यदि पति सो रहा हो और पत्नी जाग रही ४८

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