Book Title: Aatmsakshatkar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 43
________________ आ जाएगा। फिर पज़ल सॉल्व हो जाएगी। वर्ना जब तक हम 'सामनेवाले की भूल है' ऐसा खोजने जाएँगे तो कभी भी यह पज़ल सॉल्व नहीं होगा। अपनी ही भूल है' ऐसा मानोगे तभी इस संसार का अंत आएगा। अन्य कोई उपाय नहीं है। किसी के भी साथ टकराव हुआ, तो वह अपनी ही अज्ञानता की निशानी है। यदि एक बच्चा पत्थर मारे और खून निकल आए, तब बच्चे को क्या करोगे? गुस्सा करोगे। और आप जा रहे हों और पहाड़ पर से एक पत्थर गिरा, आपको वह लगा और खून निकला, तब फिर क्या करोगे? गुस्सा करोगे? नहीं। उसका क्या कारण? वह पहाड़ से गिरा है। और वहाँ वह लड़का पत्थर मारने के बाद पछता रहा हो कि मुझसे यह क्या हो गया! और यदि पहाड़ से गिरे तो, किसने गिराया? साइन्स, समझने जैसा प्रश्नकर्ता : हमें क्लेश नहीं करना हो, लेकिन कोई सामने से आकर झगड़ने लगे, तब क्या करें? । दादाश्री : इस दीवार के साथ कोई लड़ेगा तो कितने समय तक लड़ सकेगा? यदि इस दीवार से कभी सिर टकरा जाए, तो आप उसके साथ क्या करोगे? सिर टकराया, यानी आपकी दीवार से लड़ाई हो गई, अब क्या दीवार को मारोगे? इसी प्रकार ये जो बहुत क्लेश कराते हैं, वे सभी दीवारें हैं ! इसमें सामनेवाले को क्या देखना, आपको अपने आप समझ लेना है कि ये दीवारों जैसे हैं, फिर कोई तकलीफ़ नहीं है। आपको इस दीवार को डाँटने की सत्ता है? ऐसा ही सामनेवाले के लिए है। और उसके निमित्त से जो टकराव है, वह तो छोड़ेगा नहीं, उससे बच नहीं सकते। व्यर्थ शोर मचाने का क्या मतलब? जब कि उसके हाथ में सत्ता ही नहीं है। इसलिए आप भी दीवार जैसे हो जाओ न! आप बीवी को डाँटते रहते हो, लेकिन उसके अंदर जो भगवान बैठे हैं, वे नोट करते हैं कि यह मुझे डाँटता है। और यदि वह आपको डाँटे, तब आप दीवार जैसे बन जाओ तो आपके भीतर बैठे हुए भगवान आपको 'हेल्प' करेंगे। ४०

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