Book Title: Aatmsakshatkar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 16
________________ ज्ञानीपुरुष की पहचान प्रश्नकर्ता : ज्ञानीपुरुष को कैसे पहचानें? दादाश्री : ज्ञानीपुरुष तो बिना कुछ किए ही पहचाने जाएँ ऐसे होते हैं। उनकी सुगंध ही, पहचानी जाए ऐसी होती है। उनका वातावरण कुछ और ही होता है ! उनकी वाणी ही अलग होती है ! उनके शब्दों से ही पता चल जाता है। अरे, उनकी आँखें देखते ही मालूम हो जाता है। ज्ञानी के पास बहुत अधिक विश्वसनीयता होती है, जबरदस्त विश्वसनीयता ! और उनका हर शब्द शास्त्ररूप होता है, यदि समझ में आए तो । उनके वाणी-वर्तन और विनय मनोहर होते हैं, मन का हरण करनेवाले होते हैं। ऐसे बहुत सारे लक्षण होते हैं। ज्ञानीपुरुष अबुध होते हैं। जो आत्मा के ज्ञानी होते हैं न, वे तो परम सुखी होते हैं और उन्हें किंचित्मात्र दुख नहीं होता। इसलिए वहाँ पर अपना कल्याण होता है। जो खुद का कल्याण करके बैठे हों, वे ही औरों का कल्याण कर सकते हैं। जो खुद तैर सके वेही हमें किनारे पहुँचाएँगे। जो खुद तैर सके वे ही हमें किनारे पहुँचाएँगे। वहाँ पर लाखों लोग तैरकर पार निकल जाते हैं । श्रीमद् राजचंद्रजी ने क्या कहा है कि, 'ज्ञानीपुरुष कौन कि जिन्हें किंचित् मात्र भी किसी भी प्रकार की स्पृहा नहीं है, दुनिया में किसी प्रकार की जिन्हें भीख नहीं है, उपदेश देने की भी जिन्हें भीख नहीं है, शिष्यों की भी भीख नहीं है, किसी को सुधारने की भी भीख नहीं है, किसी प्रकार का गर्व नहीं है, गारवता नहीं है, मालिकीभाव नहीं है। ७. ज्ञानीपुरुष - ए. एम. पटेल (दादाश्री) ‘दादा भगवान', जो चौदह लोक के नाथ हैं । वे आपमें भी हैं, लेकिन आपमें प्रकट नहीं हुए हैं। आपमें अव्यक्त रूप से हैं और यहाँ व्यक्त हुए हैं। जो व्यक्त हुए हैं, वे फल देते हैं। एक बार भी उनका नाम लें तो भी काम निकल जाए, ऐसा है । लेकिन पहचान कर बोलने से तो कल्याण हो जाएगा और सांसारिक चीज़ों की यदि अड़चन हो तो वह भी दूर हो जाएगी। १३

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