Book Title: Aatm Samikshan Author(s): Nanesh Acharya Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Jain Sangh View full book textPage 6
________________ सम्पूर्ण ग्रन्थ उत्तम पुरुष में लिखा गया है ताकि आरम्भ से अन्त तक पाठक सारी विषय-वस्तु को निजात्मा पर आरोपित करता हुआ चले और स्वाभाविक रूप से आत्म चिन्तन के प्रवाह में बहने लगे। कौन जाने, किसका चिन्तन प्रवाह उसे गहराई तक डुबोता हुआ आत्मविभोर बना दे! घस्तुतः इस ग्रन्थ रचना का यही सार्थक लक्ष्य है। - आचार्य नानेश मात्र एक साधक ही नहीं, बल्कि अपने आप में विकसित चेतना एवं उदात्त साधना के एक प्रतीक बन गये हैं, अतः उनके उपदेश से निसत प्रत्येक शब्द अपने गढ़ार्थ के साथ आत्म-सचेतक बन जाता है। इस ग्रन्थ में उनका यही प्रभावोत्पादक प्रकाशमान स्वरूप गुंफित है जो पाठकों को प्रभावित करेगा कि वे इन प्रकाश-कणों को आत्मसात् करें एवं अपने जीवन को 'ज्ञान-क्रियाभ्यां मोक्षः' के पथ पर गतिमान बनावें। मैं अपने सम्पादन को भी इसी दृष्टि से सफल मानना चाहता हूँ। आचार्य श्री के उपदेश किसी भी प्रकार की विसंगति अथवा भूल से ऊपर उठे हुए होते हैं। अतः इस ग्रन्थ में जहाँ कहीं कोई विसंगति अथवा भूल दृष्टि या प्रतीति में भी आवे तो उसका दायित्व मेरा अपना है और उसके लिए मैं अग्रिम रूप से क्षमाप्रार्थी हूँ। –शान्ति चन्द्र मेहता महावीर जयन्ती 'महत्ता सदन' १३ अप्रैल १६६५ ए-४, कुंभानगर, चित्तौड़गढ़ ३१२००१ (राज.)Page Navigation
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