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सुनहरी भेट
आओ जीना सीन...
बच्चे यह किताब क्यों पढ़े? 19 बच्चे यह किताब क्यों पढ़ें?
बच्चो! यह पुस्तक आपके लिए खजाना है, एक सुनहरी भेंट है। जिसे आप समझोगे और सहज स्वीकार करोगे तो आपके भाग्य के दरवाजे निश्चित ही खुल जाएंगे। हाँ, शर्त इतनी है कि -
इस पुस्तक को... न केवल पढ़ना है, पढ़कर जानना भी है। न केवल जानना है... इसे समझना भी है। न केवल समझना है... इसे जीवन में उतारना भी है। इस पुस्तक में है अनेक प्रयोग,
अच्छे हैं आप के योग। तो आप जरूर करेंगे प्रयोग, जिससे बढ़ेगा आपका मनोयोग।
दूर होंगे सारे रोग,
श्रेष्ठ बनने के, हैं ये प्रयोग।
बच्चो! तुम असीम अर्हताओं से सम्पन्न हो। जैसा चाहो वैसा बन सकते हो। निरंतर परिवर्तन की क्षमता तुम्हारे में है। नई संभावनाओं की खोज करके, उन्हें योजनाबद्ध करके कार्य करोगे तो देखना एक नहीं अनेक क्षमताओं का विकास कर सकते हो। प्रगति तो आपका इंतजार कर रही है।
आचार्य महाप्रज्ञजी कितना सही फरमाते हैं - मैं कुछ करना बस एक बार खुद जग जाओ। मैं कुछ करना चाहता
___ चाहता हूँ, कुछ हूँ, कुछ बनना चाहता हूँ, ये भाव एक बार जग जाएं तो बच्चो ! हर असंभव तुम्हारे लिए संभव है और तुम
बनना चाहता हूँ, ये वह पा सकते हो जो तुम चाहते हो। सुनहरा भविष्य भाव एक बार जग तब होगा, जब पुरुषार्थ करोगे।
जाएं तो बच्चो। हर इस पुस्तक में यही प्रयत्न किया गया है, आप
असंभव तुम्हारे खुद अपने पुरुषार्थ से, प्रयत्न से और मेहनत से अपना भविष्य सुनहरा बन सकते हो। छोटे-छोटे प्रयोग दिए लिए संभव है और हैं, जिन्हें जानना, समझना और जीवन में उतारना तुम वह पा सकते जरुरी है। स्टेप बाय स्टेप क्या करना, कैसे करना
हो जो इसका स्पष्ट चित्रण दिया है।
तुम चाहते हो। एक-एक बात को समझो और प्रयोग करो, देखो
देखते-देखते तुम केवल सुनहरा भविष्य तब
अच्छे ही नहीं, महान होगा, जब बन सकते हो । मुझे आशा ही नहीं अपितु विश्वास है, आपका हर एक सपना साकार होगा, जिसे आपने अपने मन में संजोया है। भविष्य सुनहरा है, बस पुरुषार्थ की आवश्यकता है।