Book Title: Aao Jeena Sikhe
Author(s): Alka Sankhla
Publisher: Dipchand Sankhla

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Page 13
________________ बच्चे यह किताब क्यों पढ़े?(2) आओ जीना सीन... सब कुछ अंदर है आओ जीना सीन... बच्चे यह किताब क्यों पढ़े? (3) सब कुछ सीरवना पड़ता है Mos GAD बच्चो। यह एक ऐसा अभ्यासक्रम है, जो आपके जीवन को अर्थपूर्ण बनाएगा। सही दिशा K" निर्देश करेगा और जीवन का लक्ष्य निश्चित करने । में मदद करेगा। हर अच्छाई तक पहुँचने का सरल मार्ग इसमें बताया है। सत्य की खोज करके, सत्यदर्शन पर आधारित जीवन जीने का ज्ञानमय मार्गदर्शन है। अंधेरे से प्रकाश की ओर जाने का यह अभ्यास है। बुराई से अच्छाई तक पहुँचने का मार्ग इसमें बताया है। गति तेजी से प्रगति में कैसे बदले, यह इस पुस्तक में बताये गए प्रयोग के बाद सत्य की खोज पता चलेगा। करके, सत्यदर्शन नर से नारायण बनने की क्षमता हर बच्चे में है। पर आधारित पहले अच्छा इन्सान बनना जरूरी है। फिर महान् और भगवान् भी बन सकते हो। खुला मन, खुली जीवन जीने का आँखें और मँजे हुए विचारों की जरूरत है। हर कोई ज्ञानमय मार्गदर्शन तुम्हें मार्गदर्शन करना चाहता है। परिवार वाले, शिक्षक, है। अंधेरे से विद्वान, बुद्धिजीवी और उपदेशक ऐसे न जाने कितने प्रकाश की ओर लोग हैं। बच्चो! उन्हें समझना जरूरी है। साथ में अपना जाने का यह चिंतन करना, स्वतंत्र विचार रखना और विवेक से अभ्यास है। बुराई काम लेना चाहिए। मन में कोई आग्रह नहीं चाहिए। से अच्छाई तक दुराग्रह तो बिलकुल नहीं चाहिए। पूर्वाग्रह से दूर ही पहुंचने रहो। आपके पास होना चाहिए अपना निग्रह । न रूढ़िवादी, न कट्टरवादी। नया सब अच्छा होता है ऐसा भी नहीं और पुराना सब खराब होता है, ऐसा भी नहीं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात है, सब कुछ अंदर है। स्वयं को जानना और अच्छाई कैसे बाहर आए यह देखना। इसके लिए पुरुषार्थ की जरूरत है। मनुष्य श्रेष्ठ प्राणी है, पर जब वह आप जैसा छोटा बच्चा होता है तो दूसरों पर अवलंबित होता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मनुष्य को सब कुछ सीखना पड़ता है। चलना, बोलना, लिखना और पढ़ना हमें सिखाया जाता है। तभी धीरे-धीरे सब कुछ आता है। जैसे अंगुली पकड़कर चलना सिखाया जाता है, ठीक उसी तरह स्कूल में भेजकर पढ़ाई द्वारा अनेक विषयों का ज्ञान दिया जाता है। * शुरुआत कहां से करें ? बच्चो! हर बात की शुरुआत तो करनी ही पड़ती है। आप कहाँ से शुरुआत करना चाहते हो? तो आओ। हम देखते हैं, शुरुआत कहाँ से करें? कैसे करें? बस शर्त इतनी है, इसे ध्यान से पढ़ना और धीरे धीरे समझना है। * मनुष्य एक श्रेष्ठ प्राणी है देखो। तुम्हें क्या-क्या अच्छा लगता है, ग्रेट लगता है... जैसे कम्प्यूटर आदि से कितना ज्ञान होता है। इन्टरनेट - क्षण में सब ज्ञान के खजाने को सामने हाजिर करता है। दुनिया में ऐसी न जाने कितनी चीजें है, जिनके बारे में हम आश्चर्य से देखते हैं। यह सब तो मनुष्य की खोज है, उसके दिमाग से निकला हुआ यह ज्ञान है। तुम्हें पता है, अपने मस्तिष्क में अनंत क्षमताएं हैं, परंतु आदमी उन क्षमताओं का 5-6 प्रतिशत ही उपयोग करता है। इसलिए, यह समझ लो कि मनुष्य यानी तुम खुद ही एक श्रेष्ठ प्राणी हो। अगर कोई 10 प्रतिशत उपयोग करने लगता तो वह महान् बन जाता है।

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