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आओ जीना सीखें...
क्यों पढ़े?
जिंदगी के अधूरेपन को भरने के लिए बच्चों को विविध प्रकार के साहित्य की आवश्यकता होती है। साहित्य सृजन करते हैं। अपना क्षेत्र सीमित होता है। विश्व बहुत बड़ा है। ब्रम्हांड का तो क्या कहना ? हम तो मोहल्ले या गांव की सीमा में जीते हैं। असंख्य अनुभवों की ज़रूरत होती है। ये अनुभव साहित्य द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं।
शहर,
बच्चो ! पढ़ेगा, वही आगे बढ़ेगा। शरीर को आहार की जरूरत होती है। वैसे आत्मा की खोराक ज्ञान है। जितना पाओगे उतनी ही विशाल दृष्टि बनेगी।
स्वामी विवेकानंद ने कहा है- 'जो सुख तुमे महलों में प्राप्त नहीं होगा वह तुम्हें किताबों में प्राप्त होगा।' महात्मा गांधी जी ने भी कहा था पुस्तक मूल्य रत्न से अधिक अमूल्य है। रत्न तो बाहर से चमक दमक दिखाता है, पुस्तकें अंतःकरण को चमकाती हैं।
सफलता
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साहित्य की शक्ति अनंत हैं। लेखकों
की कल्पना लोगों
का मानस बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका
अदा करती है। - कृष्णकांत
बच्चों में बचपन से ही संस्कार बहुत जरूरी हैं। घर में पुस्तकें हो। बड़े बच्चो को पुस्तक पढ़ने की प्रेरणा दें। आश्चर्य तब होता है जब हजारों रूपए की साड़ी बहने सहजता से खरीदी करती हैं, परंतु एक पुस्तक लेने के लिए कहते हैं तो, कहती हैं -घर में पूछकर बताती हूँ। हजारों रुपए पार्टी और पिकनिक में भी लोग सहजता से खर्च करते हैं, परंतु जब 100 रूपए की किताब लेने के लिए कहते हैं तो सौ बार सोचते हैं।
बच्चो ! अब जब तुम्हे पढ़कर आगे बढ़ना है तो इस बात का महत्त्व समझते हुए अपनी रुचि वाचन के प्रति मोड़ो। अपने आप को समझकर पढ़ने की कोशिश करो।
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महापुरुषों का चरित्र पढ़ोगे तो पता चलेगा, कितने संघर्ष करने के बाद वे महान बने । उनमें कैसी लगन थी, धुन थी। वैसे ही हम क्या बनना चाहते हैं? यह तय कर सकते हैं। किताबे हमें दिशा निर्देश करती हैं। समस्या का समाधान देती हैं। हमारी प्रगति में गति देने का काम करती हैं। टी.वी., कम्प्यूटर और इन्टरनेट
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आओ जीना सीखें...
के जमाने में किताबें पढ़ने की रुचि कम हुई है।
हमें ऐसा लगता है, लोग किताबें कम पढ़ते हैं पर सचमुच अमरिका में मैंने देखा छोटे बच्चों के लिए भी हजारों किताबें होती हैं और छोटे छोटे गाँवों में भी विशाल लायब्रेरी होती हैं। उसका उपयोग भी लोग व्यापकता से करते हैं। हमने पढ़ा था, हेरी पॉटर की किताबें खरीदने के लिए लाइन लगाने की नौबत आई थी।
सफलता 11
अच्छी पुस्तकें बी
कल का इतिहास बताने के अलावा
नैतिकता और
प्रमाणिकता से
जीवन जीने का मार्ग
प्रशस्त करती हैं -ललितप्रभ सागर
स्कूल में हम परीक्षा को पास करने के लिए कितना पढ़ते हैं। जीवन तो परीक्षा से कितना अनमोल है। तो जीवन की परीक्षा में सफल होने के लिए पाठ्य पुस्तक के सिवा हमें कुछ अच्छी किताबें पढ़ना जरूरी
हैं जो मार्गदर्शन देने वाली हो, जीना सिखाने वाली और हमें प्रेरणा देने वाली हो। हम जीवन में प्रगति करें, उन्नति करें, उसके लिए केवल धन काम का नहीं । किताबें ही हैं जो जीवन को ऊँचाई देगी। किताब ऊंची उड़ान में काम आयेंगी ।
इसलिए बच्चो ! पढ़ो और आगे बढ़ो पढ़ने का मजा कुछ और ही है। जो पढ़ता है, वही आगे बढ़ता है। जो पढ़ता है वह बहुत कुछ पाता है, जो पढ़ता नहीं तो सबकुछ खोता है।
वह
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पुस्तक प्रेमी सबसे धनी और सुखी इन्सान है। बनारसीदास चतुर्वेदी