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आओ जीना सीखें...
भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण ताव
'चरैवेति' इसे हमेशा याद रखो।
जो चलता है उसका भाग्य भी चलता है । जो बैठता है, उसका भाग्य भी बैठता है। जो सोता है, उसका भाग्य भी सोता है।
इसलिए, चलते रहो... चलते रहो....
सर्वागीण विकास के लिए
हमेशा आत्मनिरीक्षण करें
विवेक से रहें
→ मधुर भाषा का प्रयोग करें
तनावमुक्त रहें
प्रामाणिक रहें
→ सदैव संकल्प करें लक्ष्य का निर्माण करें
गुस्सा कम करें
सहनशीलता
→ सहिष्णुता स्व-प्रबंधन
श्वास को देखें
सफलता 18
आत्मविश्वास
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आओ जीना सीनवें....
टी.वी. के दुष्परिणाम 19
टी.वी. के दुष्परिणाम
आज घर-घर में टी.वी. का ही राज है। ऐसा घर ढूंढकर भी नहीं मिलेगा जहाँ टी.वी. न हो। घर का हर सदस्य टी.वी. के सीरियल और कार्यक्रम में डूबा हुआ है। बच्चे तो बच्चे होते हैं पर बड़े भी इसके मोहजाल में फँसे हैं। बच्चों को हम दोष भी कैसे दे सकते हैं?
बच्चो ! आप खुद तो सोचो, चिंतन करो। आपको कुछ करना है, कुछ बनना है तो उसके लिए कुछ छोड़ना भी होगा। मैं यह नहीं कह रही हूँ कि तुम टी.वी. देखना छोड़ दो। टी.वी. से हमारा काफी समय निकल जाता है। टाईम इज मनी । इसे इस तरह व्यर्थ गँवाने से हम जो करना चाहते हैं, वह कर नहीं पाते।
हमेशा टी.वी. देखने से दिमाग में वही तस्वीरें घूमती हैं। हमारी नये सृजनशक्ति पर उसका प्रभाव होता है। टी.वी. के पात्र मन पर इतने हावी होते हैं, नये विचारों को समय नहीं मिलता। उसमें कुछ क्रिएटिव करने का हम भूल ही जाते हैं।
टी.वी. देखने से फायदे होने से अधिक नुकसान है। बच्चों को खेलना, हमेशा एक्टिव रहना चाहिए। उस इडियट बॉक्स के सामने से उठने का मन ही नहीं करता । नये-नये आकर्षक विज्ञापन देखने से वह चीज लेने का मन होता है। वैसे कपड़े पहनने की इच्छा होती है। आँखों पर बुरा असर होता है।
इसलिए बच्चो ! हमें अपना विकास करना है तो टी.वी. देखने का समय निश्चित करो। कुछ चेंज व फ्रेश होने के लिए थोड़ी देर टी.वी. देखना अच्छा है। टी.वी. में अच्छी ज्ञानवर्धक जानकारियां देने वाले कार्यक्रम होते हैं। उन्हें जरूर देखना । मुख्य समाचार सुनना। टी.वी. बुरा नहीं, हम उसमें से क्या लेते हैं वह जरुरी है। टी.वी. पर बकवास सीरियल अधिक आती है और आते हैं आकर्षक विज्ञापन | इसी का बच्चों पर खराब और गहरा असर होता है।
आज का ज़माना कम्प्यूटर का है। स्कूलों में कम्प्यूटर सिखाते हैं। इसमें आज कल कम्प्यूटर गेम्स का बच्चों पर बहुत प्रभाव है। एक बार गेम्स चालू हुए तो न समय का पता चलता न उठने का मन करता गेम्स में मारामारी, होरर टाईप्स गेम्स बच्चे पसंद करते हैं। इससे हिंसक प्रवृत्ति बनती है।
बच्चे तो अनुकरणप्रिय होते हैं। देखते है वह करने का मन करता है।