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आओ जीना सीन...
टी.वी. के दुष्परिणाम 0
Eવી તો ક્યે આખાય. ઘરનું થઈ ગયુ છે આપણુ, પણ સાચું કહું તો એ તો
ધોથી અમને
ટીબીને ક્રોણા
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પ્રિયા
आओ जीना सीन...
टी.वी. के दुष्परिणाम 0 दिन भर में बचे न जाने कैसे सीन, कितनी बार देखते होंगे? इसलिए बड़ों को सतर्क रहना जरुरी है। बच्चों को समझाकर उनके साथ प्यार से बैठकर चर्चा करके टाईम टेबल बनाने में टी.वी. में क्या देखना, कब देखना यह निश्चित करना जरूरी है।
मैं काफी स्कूलों में काम करती हूँ। अच्छे बच्चे हम बनेंगे। इस विषय पर काफी लेक्चर भी दिये हैं। नवसारी में संस्कार भारती, भक्ताश्रम और डी.डी. गर्ल्स में काफी कार्यक्रम किए। भक्ताश्रम में मेरी संस्कार निर्माण बुक प्रकाशित हुई थी और हर बच्चे को दी थी।
सूरत में बचकानीवाला स्कूल की प्रिन्सिपल रीटाबेन फूलवाला फूल की तरह हँसती हुई बच्चों को प्रेरणा देने में तत्पर रहती हैं। यह बुक लिख रही थी तब इसके लिए कुछ चित्र चाहिए थे। ड्राईंग टीचर मयुरभाई से बात करके हमने बच्चों को बताया तो बच्चों ने बहुत अच्छे चित्र बनाएं। टी.वी. के दुष्परिणाम का चित्र अमित जरीवाला ने चित्रित किया है। कई उत्साही बच्चों ने काफी सुंदर चित्र बनाए थे।
आई.जी. देसाई स्कूल के प्रिन्सिपल जयन्त जोशी भी एक उत्साही प्रिन्सिपल है। हमेशा बच्चों को प्रेरणा मिले इसलिए प्रयत्न करते हैं। ऐसे अनेक स्कूलों में हम अणुव्रत, जीवन विज्ञान और योग प्रशिक्षण का काम करते हैं। यहां काम करतेकरते बच्चों की समस्याएं सामने आईं। अनेक आचार्य बच्चे अच्छे बने इसके लिए कुछ न कुछ कार्यक्रम करना चाहते हैं। इस कारण मुझे यह किताब लिखने की प्रेरणा मिली।
टी.वी. के दुष्परिणाम * लंबे समय तक टी.वी. देखने से रीढ़ की हड्डी, गर्दन के रोग होते हैं। * आँखों पर बुरा परिणाम होता है, मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है। * तनाव और अस्वस्थता के लक्षण प्रकट होते हैं। * कर्तव्यबोध का अभाव होता है। * समय का दुरुपयोग होता है। * किसी भी काम में मन नहीं लगता। * जीवनचर्या अनियमित एवं असंतुलित हो जाती है।
અસંસ્કારીનું
द्वार
ડ્યોકિ નીતુલસી કસોટીની પ્રેરણા મેઈ મેઈન,
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अमीत सतीचभाईजरीवाला शेठश्री पी.एच. बचकानीवाला विद्यामंदिर, खरवर नगर, सूरत