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आओ जीना सीखें...
बचपन से अनुशासन का संस्कार
• पंडितों के अनुसार किसी कार्य का प्रारंभिक काल ही सबसे महत्त्वपूर्ण होता है। अतएव कोमलमति बालकों को उनकी प्रारंभिक अवस्था से ही अनुशासन से अवगत करना चाहिए। अनुशासन कोई एक या दो दिनों में प्राप्त कर लेने वाली वस्तु नहीं है। यह अभ्यास, आदत और अर्जित प्रवृत्तियों का प्रतिफल है। चरित्र का आवश्यक अंग है जो वर्षों की सतत साधना से प्राप्त होता है। बचपन से ही अनुशासन के बीज बोना आवश्यक हैं।
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बोर्ड ऑफ एज्युकेशन के अनुसार अनुशासन वह साधन है जिसके द्वारा बच्चों को उत्तम आचरण और उनमें निहित सर्वोत्तम गुणों की आदत डालने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
आज के युग में समस्याएँ ही समस्याएँ हैं। इससे व्यक्ति उतना परेशान नहीं, जितना अपने आंतरिक समस्याओं से परेशान है। अनुशासन से अनेक समस्याओं का समाधान होता है। यह सरल नहीं, पर धीरे-धीरे एक-एक प्रकार का अनुशासन अपनाकर व्यक्ति आत्मानुशासन का अभ्यास बढ़ा
सकता है।
आत्मसन्मान,
आत्मज्ञान,
आत्मसंयम ये
तीनों ही
जीवन को परमशक्ति की
ओर ले
जाते हैं।
- टेनीसन
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आओ जीना सीखें....
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हर काम में अनुशासन का महत्त्व होता है....
प्रथम चिंतन करके निर्णय लेना ।
निर्णय से क्रियान्वित तक की योजना बनाना ।
व्यवहार को जानते हुए अनुशासित तरीके से कार्यपूर्ति का प्रयत्न करें।
कार्य की दिशा निर्धारित हो, तो कार्य में सफलता जरूर मिलेगी। यह सब तभी हो सकता है जब हर काम में अनुशासन होगा ।
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णो हीयो णो अतिरिक्त भगवान महावीर अर्थात् न हीन मानो न अतिरिक्त मानो । स्वयं का यथार्थ मूल्यांकन करो।
विनय और अनुशासन भारतीय विद्या के मूल तत्त्व है। इनकी उपेक्षा जीवन की उपेक्षा है।
अध्यात्म विद्या इनके बिना आगे नहीं बढ़ती ।
अनुशासन की प्रेरणा
पूर्व राष्ट्रपति और सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् जाकिर हुसैन जामिया विश्व विद्यालय के उपकुलपति थे। वे अनुशासन और सफाई के मामले में कठोर थे। वे चाहते थे कि जामिया के छात्र अनुशासित और पालिश से चमकते जूतों के साथ साफ-सुथरे कपड़ों में रहें। इस हेतु उन्होंने आदेश निकाला किन्तु छात्रों ने ध्यान नहीं दिया। डॉ. जाकिर हुसैन काफी नाराज हुए और छात्रों को सबक सिखाने की सोच बैठे।
एक दिन छात्र स्तम्भित रह गये, जब उन्होंने देखा कि उपकुलपति जाकिर हुसैन विश्व विद्यालय के गेट पर पालिश और ब्रुश लिए बैठे है। यह देखकर सभी छात्र भूल महसूस करते हुए शर्मिन्दा हुए। अगले दिन से सभी छात्र साफ- -सुथरे कपड़ों में और जूतों पर पालिश करके आने लगे। प्रेरक प्रभाव से अनुशासन का नया माहौल बन गया।