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आओ जीना सीन...
अफलता (43)
'नाणं पयासयरं' ज्ञान प्रकाश देने वाला है। यह प्रकाश तब फैलता है, जब व्यक्ति चरित्र-सम्पन्न होता है, जिसका जीवन संयममय होता है। इसके लिए तुम्हें अणुव्रतों को जानना होगा और जीवन में उतारना होगा। तुम्हारा जीवन निर्माण की बेला है। नैतिकता उसका मूल है। अणुव्रती बनना नैतिकता का मूल है। मूल में सुधार होगा तो जीवन अनोखा उपहार बनेगा। अणुव्रती बनो और स्वस्थ जीवन जीओ। जिससे समाज भी स्वस्थ बनेगा।
तो बचो ! इसे समझना, जानना और जीवन में उतारना सबसे अधिक जरूरी है क्योंकि -
ज्ञान कमाओगे, विद्वान कठलाओगे, धन कमाओगे, धनवान कहलाओगे, अणुव्रती बनोगे तो मठान कठलाओगे।
आओ जीना सीन...
सफलता (2) अणुव्रत
बच्चो! हमारे देश की संस्कृति सबसे प्राचीनतम है। हमारी संस्कृति की अपनी ऐसी विशेषताएँ हैं, जिससे विश्व में यह सबसे महान् मानी जाती है। विकृति, प्रकृति को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है संस्कृति।
बच्चो ! आपके विकास, गति और प्रगति पर ही परिवार समाज और राष्ट्र की प्रगति और उन्नति अवलंबित है। हर एक व्यक्ति
सुधार चाहता है। प्रश्न यह है, इसकी शुरुआत कहाँ से भारतीय संस्कृति हो? कैसे हो? संस्कार इसका माध्यम है। संस्कार ऋषि-मुनियों की गर्भावस्था से ही शुरु होते हैं। परिवार के संस्कार बच्चों संस्कृति है।
में आते हैं। बचो ! अपने आपको बदलने की शुरुआत
भी आपको खुद ही करनी है। यह शुभ शुरुआत हम ऋषिमुनि महावतों
संकल्प से करेंगे।तुम विकास करना चाहते हो, महान् का पालन करते
बनना चाहते हो तो सबसे पहले अणुव्रतों को स्वीकार हैं। हम महावतों करो। अणुव्रत जीवन सुधार का राजमार्ग है। अणुव्रत का पालन तो नहीं से जीवन स्वस्थ होगा, बदलेगा और चमकेगा। जिसका
वर्तमान स्वस्थ होगा, उसका भविष्य भी उज्ज्वल होगा। कर सकते
अणुव्रत युगधर्म है। इसलिए यह धर्म जात-पात, लेकिन अणुक्तों
संप्रदाय किसी से भी जुड़ा हुआ नहीं है। युग को पहचान को तो स्वीकार कर बना है। भारतीय संस्कृति ऋषि-मुनियों की संस्कृति
है। ऋषि मुनि महाव्रतों का पालन करते हैं। हम महाव्रतों
का पालन तो नहीं कर सकते लेकिन अणुव्रतों को तो स्वीकार करना ही चाहिए। अणुव्रत पहली सीढ़ी है। जिसने इन्हें स्वीकारा उसकी प्रगति तीव्र गति से हुई। देखने वाला देखता ही रह जाता है। अणुव्रत का ज्ञान लो, यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
* झूठ नहीं बोल
सपी नहा कॐ
करुंगा...
कर
आओ बच्चो ! महान बनने के लिए हम यह समझ लेते हैं। अणुव्रत क्या है?
अणुव्रत दो शब्दों से बना है - 'अणु' और 'व्रत' । विज्ञान के अनुसार अणु का अर्थ है छोटासा ।व्रत याने संकल्प, नियम अथवा दृढ़ निश्चय ।व्रत भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जीवन शुद्धि के बीज हैं। व्रत अपने आप में परमतत्त्व है, कल्याण का पथ है। इसमें छोटे-छोटे नियम हैं, जो जीवन को महान् बनाते हैं।