Book Title: Aagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 11
________________ tis a छप्रिया कहपाउयारा मुंजपाउयारा छत्तारा बज्झारा पुत्थारा लेप्पारा चित्तारा संखारा दंतारा भंडारा जिज्झगारा सेडरा कोडिगारा जे यावन्ने तहप्पगारा, सेतं सिप्पारिया, से कित मासारिया १,२ जेणं अदमागहाए भासाए भासेंति तत्यवि वर्ण जत्य बंभी लिवी पवत्तइ, बंमीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेक्सविहाणे पं० त० भी जवणालिया दोसापुरिया खरोही पुक्खरसारिया भोगवइया पहराइया अंतक्खरिया अक्खरपुट्ठिया वेणइया १० निण्हइयां अंकलिची गणियलिवी गंधवलिषी आयंसलिवी माहेसरी दोमिलिषी पोलिन्दी १८, सेत्तं भा. सारिया, से किं तं नाणारिया ?,२ पंचविहा पं००-आमिणिचोहियनाणारिया सुय० ओहि मणपजव० केवलनाणारिया, सेत्तं नाणारिया, से कितं दसणारिया १.२ दुविहा पं० तं० सरागदसणारिया य वीयरायदसणारिया य, से किं तं सरागदसणारिया ?,२ दसबिहा पं० सं०-निसग्गुवएसरुई आणरुई सुत्तचीयरुइमेच। अभिगमवित्थाररुई किरियासंखेवध. म्म ॥१२०॥ भूयत्येणाहिगया जीवाजीवे य पुण्णपावं च। सहसंमुइया आसवसंवरे य रोएइ उ निसग्गा ॥१॥ जो जिणदिढे भावे चउमिहे सदहाइ सयमेव। एमेव नन्नहत्ति य निसग्गलहत्ति नायचो ॥२॥ एए चेच उ भावे उवदिवे जो परेण सदहइ । छउमत्येण जिणेण व उवएसरुइत्ति नायबो॥३॥ जो हेउमयाणतो आणाए रोयए पवयणं तु। एमेव नन्न. हत्ति य एसो आणासई नाम ॥४॥ जो सुत्तमहिजन्तो सुएण ओगाहई उ सम्मत्तं । अंगेण बाहिरेण व सो सुत्तरुइत्तिणायचो ॥५॥ एगपएऽणेगाई पदाइं जो पसरई उ सम्मत्तं । उद. एवं तिपिंदू सो पीयरुइत्ति नायत्रो ॥६॥ सो होइ अभिगमरुई सुयनाणं जस्स अथओ दि8। इकारस अंगाई पइन्नगा दिविवाओ य ॥ ७॥ दशाण समभावा सापमाणेहिं जस्स उपलखा। सबाहिं नयविहीहिं वित्थाररुइत्ति नायवो ॥८॥ दंसणनाणचरिते तवविणए सच्चसमिइगुत्तीसु। जो किरियाभावरुई सो खलु किरियाई नाम ॥९॥ अणभिरगहियकुदिट्ठी संखेवरुइत्ति होइ नायत्रो। अविसारओ पश्यणे अणभिम्गहिओ य सेसेसु ॥१३०॥ जो अस्थिकायधम्मं सुयधम्मं खलु चरित्तधम्मं च । सदहह जिणाभिहियं सो धम्मलहत्ति नायचो ॥१॥ परमत्थसंथवो या सुविद्वपरमत्थसेवणा वादि। वावन्नकुदसणवजणा य सम्मत्तसहहणा ॥२॥ निस्संकिय निकंखिय निचितिगिच्छा अमूढदिही य। उपवूह चिरीकरणे वच्छल पभावणे अट्ठ॥१३३॥ सेत्तं सरागदसणारिया, से किं तंबीयरायदसणारिया ?,२दुविहा पं० तं०- उपसंतकसायवीयरायदसणारिया यखीणकसायवीयरायदसणारिया य, से किं तं उव. संत०१,२ दुविहा पं०२० पदमसमयउवसंत० य अपढमसमयउवसंत० य, अहवा चरिमसमय० य अचरिमसमय० य, से किं तं खीणकसायवीयरायदसणारिया १,२दुपिहा ५००छउमत्थखीण केवलिखीण. य, से कितं छउमत्थखीण०१,२ दुविहा पं० त०-सयंबुद्धच्छउमत्थखीण. य मुखबोहियच्छउमत्थरखीण य, से किं ते सयंदच्छउमत्थरखीण०१,२ रावहा ५००पढमसमयसयंबकय अपढमसमयय, अहवा चारमसमयय अचरिमसमय० य, सेत्तं सर्यबुद्धच्छउमत्थखीण..से कित बनलोहियच्छउमस्थलीण..२दविहा पं००-पढमसमयबुद्धमोहिय० य अपढमसमयचुबमोहिय० य, अहवा चरिमसमय० य अचरिमसमय, सेत्तं छउमत्थखीण, से कितं केवलिखीण०१.२दुविहा पं०१०-सजोगि. केवलिखीण य अजोगिकेवलिखीण य, से किं ते सजोगिकेवलि०१,२ दुविहा पं० त०- पढमसमयसजोगिकेवलि० य अपढमसमयसजोगिकेवलि० य, अहवा चरिमसमयसजोगिक य अचरिमसमयसजोगि०,य से सजोगिकेवलि०, से किंत अजोगिकेवलि०१,२दविहा पं० त०- पढमसमयअजोगिकेवलि० य अपढमसमयअजोगिकेवलि. य. अहवा चरिमसमः यअजोगि० य अचरिमसमयअजोगि० य, सेत्तं अजोगिकेवलिखी०, सेतं केवलिखीण०, सेतं खीणकसायवीयरायदंसणारिया, सेत्तं दसणारिया, से कितं चरित्तारिया १,२ दुविहा पं० तं०-सरागचरित्तारिया य बीयरागचरित्तारिया य, से किं तं सरागचरित्तारिया १,२ दुविहा पं० त०-सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य पायरसंपराय० य, से किं तं मुहमसंपराय०१.२ दुविहा पं० त०- पढमसमयमुहुम० य अपढमसमयसुहुम० य, अहवा चरिमसमयसुहुम० य अचरिमसमय० य, अहवा सुहुमसंपराय० दुविहा पं० त०-संकिलिस्समाण० य विसुज्झमाण० य, सेत्तं सुहमसंपराय, से कितं चादरसंपरायसरागचरित्तारिया ?,२ दुविहा पं० त०-पढमसमयबादरसंपरोय० य अपढमसमयचादर०य, अहवा चरिमसमयचादर० य अच. रिमसमयवादर० य, अहवा पावरसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा पं० त०- पढिवाई य अपडिवाई य, सेत्तं बादरसंपरायसरागचरित्तारिया, सेतं सरागचरित्तारिया, से किं तं बीयरायचरित्तारिया १.२ दुविहा पं००-उपसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य खीणकसाय० य, से किंत उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया',२ दुविहा पं०२०-पढमसमयउवसंतकसाय य अपढमसमय० य, अहवा परिमसमय० य अचरिमसमय य, सेत्तं उपसंतकसायवीयरायचरित्तारिया, से किं तं खीणकसायवीयरायचरित्तारिया १,२ दुविहा पं० त०-छउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य केवलिखीण. य, से किं तं छउमत्यखीण०१,२ दुविहा पं० त० सयंचुदच्छउमत्थखीण य बुद्धचोहियच्छउमत्थरसीण य, से किं तं सर्यबुद्धच्छ. उमत्थ. १,२ दुविहा पं० सं०- पढमसमयसयंदच्छउमत्य० य अपढमसमयसयंबुद्धच्छउमत्थ० य, अहवा चरिमसमयसयंचुदच्छउमत्य० य अचरिमसमयसयंचुदच्छउमत्थ० य, ६८२ प्रज्ञापना, पद-१ मुनि दीपरत्नसागर SPr

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