Book Title: Aagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 43
________________ भंते ! देवाणं किं संतरं उव० निरंतरं उव०१, गो० संतरंपि० निरंतरंपि०, एवं जाव थणियकुमारा, पुढवीकाइयाण मंते! किं संतरं उब० निरंतरं उव०?, गो० नो संतरं उप निरंतरं उव०, एवं जाव वणस्सइकाइया नो संतरं उप निरंतरं उप०, बेईदिया णं भंते ! किं संतरं उव० निरंतरं उव०?, गो०! संतरपि उन० निरंतरपि उप०, एवं जाच पंचिंदियतिरिक्खजोणिया, मणस्साणं भंते! कि संतरं उव०निरंतर उव०१.गो! संतरपि उव० निरंतरीप उव०,एवं बाणमंतरा जाइसिया साहम्मीसाणसणकुमारमाहिदबंभलायलतगमहासुक्कसहस्सारआण। यपाणयआरणयहिडिमगेविजगमज्झिमगेविजगउपरिमगेविजगविजयवेजयंतजयंतअपराजितसवट्ठसिद्धदेवा य संतरपि उव. निरंतरपि उप०, सिदा णं भंते ! कि संतरं सिाति निरंतरं सिझंति?, गो०! संतरंपि सिझंति निरंतरंपि सिझंति । १२५। नेरइया ण मंते! किं संतरं उबद्दति निरंतर उचट्ठति ?, गो० संतरपि उबद्दति निरंतरपि उन्नति, एवं जहा उव. बाओ भणिओ तहा उबट्टणापि सिद्धवजा भाणियबा जाब बेमाणिया नवरं जोइसियवेमाणिएसु चयणति अहिलावो काययो । दारं ३।१२६ । नेरहया णं भंते! एगसमएणं केवइया उववजति?, गो० जह एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्को संखेजा वा असंखेज्जा वा उववज्जति, एवं जाव अहेसलमाए, असुरकुमारा गं भंते! एगसमएणं केवइया उव०?, गो! जह एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्को संखेज्जा वा असंखेज्जा वा, एवं नागकुमारा जाव यणियकुमारावि माणियबा, पुढबीकाइया गं भंते ! एगसमएणं केवइया उच०?, गो! अणुसमयं अविरहियं असंखेज्जा उववर्जति, एवं जाव बाउकाइया, वणस्सइकाइया णं भंते ! एगसमएणं केवइया उवव०?, गो०! सट्टाणुववाइयं पडुच अणुसमय अविरहिया अर्णता उवव० परठाणुववाइयं पडुच अणुसमयं अविरहिया असंखेज्जा उवव०, बेईदिया णं मंते! केवइया एगसमएर्ण उव०?, गो०! जह• एगो वा दो वा तिन्नि वा उको संखेज्जा वा असंखेज्जा वा. एवं तेइंदिया चउरिंदिया समुच्छिमपंचिंदियतिरिक्सजोणिया गम्भवकतियपंचिंदियतिरिक्खजोणिया समुच्छिममणुस्सा पाणमंतरजोइसियसोहम्मीसाणसर्णकुमारमा हिंदवंभलोयलंतगमहासुकसहस्सारकप्पदेवा ते जहा नेरहया, गम्भवतियमणुस्सआणयपाणयआरणअचुयगेवेज्जगअणुत्तरोषवाइया य एते जह० इको वा दो या तिन्नि वा उको संखिज्जा, सिद्धा णे भंते ! एगसमएर्ण केवइया सिझति ?, गो०! जह• एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्को० अट्ठसयं । १२७। नेरइयाण भंते ! एगसमएण केवइया उबईति०?, गो०! जह एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोकसंखेज्जा वा असंखेज्जा चा उपद्दति, एवं जहा उववाओ भणिओ तहा उबणावि भाणिया जाव अणुत्तराववाइया गवरं जोडसियोमा- ASI णियाणं चयणेणं अहिलावो कायकोदारा१२८ा नेराया णं भंते । कतोहिंतो उवव०१-किं नेरइएहितो उप०तिरिक्खजोणिएहितो उप० मणुस्सेहितो उब देवहितो उप०, गो०! नो नेरइएहितो उप० तिरिक्खजोणिएहिंतो उव० मणुस्सेहितो उव० नो देवेहितो उवव०, जइ तिरिक्खजोणिएहितो किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो बेइंदियतेइंदियचउरिदियपं. चिंदियतिरिक्ख० उवर्षजति ?, गो० नो एगिदिय० नो बेईदियनो तेइंदिय० नो चउरिदिय० उवव० पंचेंदियतिरिक्ख० उवव०, जद पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उवव० किं जलयर० थलयर० खहयर०?, गो०! जलयर० जोणिएहिंतो उवव० थलयर० खयर०, जइ जलयर जोणिएहितो किं समुच्छिमजलयर गम्भवकंतियजलयर०?, गो० समुच्छिमजलयर उव० गम्भवतिय उवव०, जइ समुच्छिमजलयर० किं पजत्तयसमुच्छिमजलयर० किं अपजत्तसमुच्छिमजलयर०?, गो० पज्जत्तयसमुच्छिमजलयर० नो अपज्जत्तगजलयर०, जइ गम्भवतियजलयर०कि पजत्तगगम्भवतियजलयर० अपजत्तयगम्भ० जलयर०?, गो० पज्जत्तयगम्भ जलयर० नो अपजत्तगगम्भवक्कतियजलयर०, जइ बलयर० किं चउप्पयथलयर० परिसप्पथलयर०?, गो! चउप्पयथलयर परिसप्पथलयर०, जइ चउप्पयथलयर० किं समुच्छिमेहिंतो गम्भवक्कतिएहितो०?गो० समुच्छिमचउप्पयथलयर० गम्भवक्कंतियचउप्पयथलयर, जइ समुच्छिमचउप्पय० किं पजत्तगसमुच्छिमचउप्पय० अपज्जत्तगसमुच्छिमचउप्पय०?, गो० पजत्तसमुच्छिमचउप्पयथलयर० नो अपजत्तगसंमु. च्छिमचउप्पय०, जई गम्भवक्कंतियचउप्पयतिरिक्सजोणिएहितो कि संखेजवासाउअगम्भवतियचउप्पय० असंखेजवासाउयगम्भ०?, गो ! संखेजवासाउ० नो असंखेजवासाउ०, जइ संखेजवासाउय० किं पजत्तगसंखेजवासाउयगम्भ अपजत्तगसंखेजवासाउयगम्भ०?.गोपजत्त हितो० नो अपजत्तसंसेफवासाउएहितो०,जइ परिसप्पथलयर० किं उरपरिसप्पथलयर० भुयपरिसप्पथलयर०१. गो०! दोहितोषि उपवर्जति, जइ उरपरिसप्पथलयर०किं समुच्छिमउरपरिसप्प० गम्भवतियउरपरिसप्प०१, गो समुच्छिमेहिंतोवि गम्भवतिएहिंतोवि उववर्जति, जइ समुच्छिमउरपरिसप्पथलयर० किं पजत्तएहितो अपजत्तगेहितो?, गो० पजत्तगसमुच्छिमेहितो नो अपजत्तगसंमुच्छिमेहितो उक्वजति, जइ गम्भवकंतियउर - परिसप्पथलयर० उवव० किं पजत्तएहितो अपजत्तएहितो?, गो०! पजत्तगगम्भवकंतिएहिंतो नो अपजत्तगम्भवतिएहिंतो उवव०, जइ भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियः उववर्जति किं समुच्छिमभुयपरिसप्पथलयर० गम्भवतियभुयपरिसप्पथलयर०?, गो०! दोहितोऽवि उववजति, जइ समुच्छिमभुयपरिसप्प० किं पजत्तयसमुच्छिमभुयपरिसप्प० अपज्जत्तयसंमु४ भज्ञापना, पद-95. मुनि दीपरनसागर

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