Book Title: Aagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
एते अभिलावेणं ते चैव चत्तारि दंडगा भाणिता, जस्स जंसमयं जंदेसं जंपदेसेण जाव वैमाणियाणं, जीवे णं भंते! जैसमयं काइयाए अधिगरणियाए पादोसियाते किरियाए पुट्टे तंसमयं पारियावणियाते पुढे पाणातिवातकिरियाते पुढे ?, गो० ! अत्थेगतिते जीवे एगतियाओ जीवाओ जंसमयं काइयाए अधिगरणियाए पादोसियाते पुढे तंसमयं पारितावणियाए पुडे पाणावायकिरियाए पुढे अत्थेगतिते जीवे एगतियाओ जीवाओ जंसमयं काइयाए अधिगरणियाए पादोसियाते पुढे तंसमयं पारितावणियाए पुट्टे पाणाइवायकिरियाए अपुडे अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जंसमयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए पुढे तंसमयं पारि० किरि० अपुंडे० पाणाइवायकि० अपुट्टे । २८४। कति णं भंते किरियाओ पं० १. गो० ! पंच किरियाओ पं० ० आरंभिया जात्र मिच्छादंसणवत्तिया, आरंभिया णं भंते! किरिया कस्स कज्जति १, गो० अण्णयरस्सवि पमत्तसंजयस्स, परिग्गहिया णं भने किरिया कस्स कजइ ?, गो० ! अण्णयरस्सवि संजयासंजयस्स, मायावत्तिया णं भंते! किरिया कस्स कज्जति ? गो०! अण्णयरस्सावि अपमत्तसंजयस्स, अपचक्खाणकिरिया णं भंते! कस्स कजनि ?, गो! अण्णयरस्सवि अपचक्खाणिस्स, मिच्छादंसणवत्तिया णं भंते! किरिया कस्स कज्जति १, गो० ! अण्णयरस्सावि मिच्छादंसणिस्स, नेरइयाणं भंते! कति किरियानो पं० १. गो० पंच किरियातो पं० नं० आरंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया, एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कः तस्स परिग्गहिया कि० कज्जति जस्स परिग्गहिया कि० तम्स आरंभिया कि० १. गो० जम्स णं जीवस्स आरंभिया कि० तस्स परिग्गहिया सिय कज्जति सिय नो कज्जति जस्स पुण परिग्गहिया किरिया कः तम्स आरंभिया कि० णियमा क०, जम्स णं भंते! जीवम्स आरंभिया तस्स मायावत्निया कः पुच्छा, गो० ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया० क० तस्स मायावत्तिया नियमा क० जस्स पुण मायावत्निया क नम्स आरंभिया सिय कनि सिय नो क० जम्स णं भंते! जीवस्स आरंभिया कि० तस्स अपचक्खाणकिरिया पुच्छा ?, गो० ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किः तम्स अपचक्लाकिरिया सिय कति सिय नो कः जस्स पुण अपञ्चवाणकिरिया क० तस्स आरंभिया किरिया नियमा क० एवं मिच्छादंसणवत्तियाएवि समं एवं परिगहियाचि तीहिं उबरिहाहिं समं संचारतवा. जस्स मायावत्तिया कि० नम्स उबरिडाओ दोवि सिय कांति सिय नो कज्जति जस्स उवरिल्लाओ दो कज्जति तस्स मायावत्तिया णियमा कज्जति, जस्स अपचक्खाणः कः तम्स मिच्छादंसणवत्तिया सिय कजति सिय नो कज्जति, जस्स पुण मिच्छादंसणवत्तिया तस्स अपचक्खाणकिरिया णियमा कज्जति, नेरइयस्स आइडियातो चत्तारि परोप्परं नियमा कांनि जस्स एनाओ चनारि कति नम्स मिच्छादंसणवत्तिया भइज्जति, जस्स पुण मिच्छादंसणवत्तिया कज्जति तस्स एनातो चत्तारि नियमा कति, एवं जाव श्रणियकुमारम्स. पुढवीकाइयम्स जाब चउरिदियम्स पंचवि परोप्परं नियमा कजंति, पंचिदियतिरिक्खजोणियस्स अतिहियातो तिष्णिवि परोप्परं नियमा कति जस्स एयाओ कति नम्स उवरिडिया दोणि भजति जम्स उबरिहातो दोणि कांति तस्स एतातो तिष्णिवि णियमा कजंति, जस्स अपचक्खाणकिरिया तस्स मिच्छादंसणवतिया सिय कति सिय नो कः जस्स पुण मिच्छाईणवनिया किरिया कः तम्स अपचक्खाणकिरिया नियमा क, मणूसस्स जहा जीवस्स, वाणमंतरजोइसियवेमाणियस्स जहा नेरइयस्स, समयण्णं भंते! जीवम्स आरंभिया कः समयं परिग्गहिया कि० क० ? एवं एने जस्स जंसमयं जंदेसं जंपदेसेण य. चत्तारि दंडगा णेयचा, जहा नेरइयाणं तहा सङ्घदेवाणं नेत जाव वैमाणियाणं । २८५। अस्थि णं भंते! जीवाणं पाणातिवायवेरमणे कजति ?, हंता अन्थि, कम्हि णं भंते! जीवाणं पाणातिपातवेरमणे क० ? गो० छसु जीवनिकाएसु, अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणानिवातवेरमणे कः ? गो० नो इण्डे समड़े, एवं जाव वैमाणियाणं. णवरं मणुस्साणं जहा जीवाणं. एवं मुसावाएणं जाव मायामोसेणं. जीवस्स य मणूसस्स य. सेसाणं नो तिगडे समद्वे, णवरं अदिन्नादाणे गहणधारणिलेसु दवेसु, मेहुणे रूवेसु वा मवसहगएसु वा दसु सेसाणं सधेसु दचेसु. अस्थि णं भंते! जीवाणं मिच्छा सण सहवेरमणे कति ? हंना अस्थि कम्हि णं भंते! जीवाणं मिच्छादंसणसवेरमणे कजति ? गो ! सङ्घदवेसु एवं नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं, णवरं एगिंदियविगलंदियाणं नो निणडे समट्टे | २८६ । पाणातिपानविरए णं भंते! जीवे कड कम्मपगडीनो बंधनि ?, गो० सत्तविह वा अद्भुवि वा छवि वा एगविहबंधए वा अबंधए वा. एवं मणूसेवि भाणितवे, पाणातिपातविरयाणं भंते! जीवा कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गो० ! सज्ञेवि नाव होना सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहगा एगविहगा अडविहबंध य अहवा सत्तविहगा एगविहगा अडविबंधगा य अहवा सन्तविहगा एगविहगा छविहबंध य अहवा सत्तविहगा एगविगा उत्रिहबंधगा य अहवा सत्तविहगा एगविहगा अबंधए य अहवा सत्तविहगा एगविहगा अबंधगा य अहवा सत्तविगा एगवि०गा अनुविधबंधगे य छविहबंधए य अहवा सनविहबंधगा य एगविहगा अद्भुविहबंधए य छविबंधगा य अहवा सत्त विहगा एगवि०गा अडविहबंधगा य छविबंधए य अह्वा सत्तविहबंधगा य एगचिहबंधगा य अद्भुविहबंधगा य छविहबंधगा य. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगाय अडविहवं७५७ प्रज्ञापना, पद- २२
मुनि दीपरत्नसागर
Page Navigation
1 ... 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107